डीएपी मिलते ही खत्म हो जाता है स्टॉक
डीएपी की कमी का आलम यह है कि जैसे ही खाद की आपूर्ति होती है, किसान भीड़ में जुट जाते हैं। थोड़ी ही देर में हजारों कट्टे खत्म हो जाते हैं, और कई किसानों को घंटों इंतजार के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ता है। गेहूं की बुवाई का समय नजदीक है, लेकिन आपूर्ति मांग के अनुसार नहीं हो रही है।
विकल्प उत्पादों का मिल रहा सुझाव
डीएपी की जगह किसानों को सिंगल सुपर फॉस्फेट, एनपीके, नैनो यूरिया, और नैनो डीएपी जैसे विकल्प सुझाए जा रहे हैं, जो कि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। नैनो डीएपी एक बोरी के बराबर ही काम करता है और सस्ता भी है, लेकिन किसानों को अभी इस पर भरोसा नहीं हो रहा है।
शुरुआत से ही आपूर्ति में कमी
सांगोद के कृषि विस्तार कार्यालय के अनुसार अक्टूबर में 3500 मैट्रिक टन डीएपी की मांग थी, लेकिन केवल 638 मैट्रिक टन की ही आपूर्ति हुई। नवंबर में 4000 मैट्रिक टन डीएपी की जरूरत है, पर अब तक एक भी कट्टा नहीं आया है। विभाग का कहना है कि अगले दो-तीन दिन में एक हजार मैट्रिक टन डीएपी आने की संभावना है।
डॉ. नरेश शर्मा, सहायक निदेशक, कृषि विस्तार, सांगोद