सस्ते चावल का गलत इस्तेमाल
राशन दुकानों से सस्ते में मिलने वाला चावल लोगों के भोजन में शामिल होने के बजाय व्यापार का हिस्सा बन गया है। सरकार ने सस्ते चावल के लिए अलग-अलग श्रेणियों के राशन कार्ड बनाए हैं, जिसके अंतर्गत कुछ लोगों को मुफ्त में और कुछ को 1 से 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन लोग इसे राशन दुकानों से लेकर, मिलरों के एजेंटों को बेच रहे हैं।
बड़ा रैकेट सक्रिय
राशन दुकानों का चावल खरीदने का एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है। ये लोग सस्ते में चावल खरीदकर राइस मिलर या चावल पैक करने वाले एजेंटों को बेचते हैं, जो इस चावल को पॉलिश करके या अन्य प्रकार से अधिक दाम में बेचते हैं। रायपुर जिले की 697 राशन दुकानों में करीब 200 उपभोक्ता जुड़े हैं, जिन्हें विभिन्न योजनाओं के तहत चावल और अन्य वस्तुएं मिलती हैं।
अक्टूबर में आवंटित चावल की मात्रा (किलो में)
- एएवाय-एनएफ: 937300
- पीएचएच-एनएफ: 688805
- एएवाय-सीजी: 1435700
- पीएचएच-सीजी: 1897711
- एपीएल: 3728370
समस्या की मुख्य वजह
- राशन दुकानों से मिलने वाले चावल की गुणवत्ता हल्की होना
- साफ-सुथरा चावल न मिल पाना
- समय पर चावल न मिलना
- सरकारी चावल का आसानी से बिक जाना
रायपुर जिले में कुल राशन कार्ड
रायपुर जिले में बीपीएल, एपीएल और अन्य योजनाओं के तहत कुल 6 लाख 16 हजार 562 राशन कार्ड बने हुए हैं। इनमें से कई एपीएल कार्डधारक दुकान से चावल नहीं लेते, पर नाम से चावल आवंटित होता है, जिसका गलत इस्तेमाल हो रहा है।