क्या था पूरा मामला?
नवीन जयहिंद पहले एक बाग में तंबू लगाकर अपनी राजनीतिक गतिविधियाँ चला रहे थे, जिसमें वह आम जनता की शिकायतें सुनते थे और उनके मुद्दों पर ध्यान देते थे। लेकिन प्रशासन ने जब उस तंबू को हटाया, तो नवीन जयहिंद ने सड़क किनारे नया तंबू लगाकर लोगों की समस्याओं को सुनना जारी रखा। उनका कहना था कि वह सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए लोगों को न्याय दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रशासन का तर्क:
प्रशासन का आरोप था कि लोग अपनी शिकायतें सीधे सरकार तक पहुंचाने के बजाय नवीन जयहिंद के तंबू में आकर समस्याएं बताने आ रहे थे। प्रशासन ने इसे अवैध गतिविधि मानते हुए कार्रवाई की। प्रशासन का कहना था कि जयहिंद ने सरकारी भूमि का अवैध रूप से उपयोग किया और उनके तंबू को हटाना आवश्यक था ताकि कोई कानून व्यवस्था की समस्या न बने।
नवीन जयहिंद का बयान:
नवीन जयहिंद ने इस कार्रवाई को लेकर कड़ी आलोचना की और कहा कि प्रशासन का यह कदम लोकतंत्र पर हमला है। उनका कहना था कि वह हमेशा आम जनता के मुद्दों को उठाते रहे हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।
पुलिस सुरक्षा:
इस कार्रवाई को लेकर प्रशासन ने बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया था ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। 300 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में बुलडोजर की कार्रवाई को अंजाम दिया गया, जो दिखाता है कि प्रशासन ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए पूरी तरह से सुरक्षा की जिम्मेदारी ली थी।
किसी ने नहीं दी अनुमति:
प्रशासन का यह भी कहना है कि जयहिंद के तंबू को लेकर कोई वैध अनुमति नहीं ली गई थी, जो सरकारी जगह पर अवैध कब्जे के रूप में देखा गया। इसके अलावा, प्रशासन का यह भी कहना था कि जयहिंद ने सरकार के खिलाफ काम किया और जब तक वह जनता के मुद्दों को उठाते रहेंगे, तब तक यह कार्रवाई जारी रहेगी।
नवीन जयहिंद की राजनीति:
नवीन जयहिंद, जो पहले आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए थे, उन्होंने पार्टी छोड़ने के बाद भी राज्य सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने विशेष रूप से कच्चे कर्मचारियों और मजदूरों के मुद्दों को उठाने का काम किया है और कई बार सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।