2015 में दिए गए थे दिशा-निर्देश
कोर्ट ने 2015 में सड़कों को चौड़ा करने, चौराहों के विकास, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव, ओवरलोडिंग और प्रदूषण रोकने सहित 25 निर्देश दिए थे। इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने को कहा गया था, लेकिन सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
बीमा कंपनी का बयान
बीमा कंपनी ने इस मामले में तर्क दिया कि सरकार की लापरवाही से दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए दुर्घटनाओं की क्षतिपूर्ति का पूरा भार केवल बीमा कंपनी पर नहीं होना चाहिए, बल्कि राज्य सरकार को भी जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
अधिक दुर्घटनाएं इन क्षेत्रों में
कोर्ट ने पाया कि जयपुर के अजमेर रोड, सीकर रोड, टोंक रोड, आगरा रोड, न्यू सांगानेर रोड जैसे इलाकों में दुर्घटनाओं की संख्या अधिक है। पहले एक अंतरविभागीय कमेटी का गठन कर इन समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया था, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई।