सुप्रीम कोर्ट ने 15 गाइडलाइनों का पालन करने का आदेश दिया, जो इस प्रकार हैं:
- ध्वस्तीकरण का आदेश पारित होने के बाद, आरोपी को अपील करने का समय दिया जाएगा।
- बिना नोटिस के रातों-रात ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा।
- अवैध निर्माणों पर कार्रवाई केवल निर्धारित स्थानों पर की जाएगी।
- बिना कारण बताओ नोटिस के कोई ध्वस्तीकरण नहीं होगा।
- नोटिस पंजीकृत डाक से भेजा जाएगा और निर्माण पर चिपकाया जाएगा।
- नोटिस के बाद 15 दिन का समय दिया जाएगा।
- कलेक्टर और डीएम द्वारा जानकारी भेजी जाएगी।
- नगरपालिका के भवनों के ध्वस्तीकरण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे।
- नोटिस में उल्लंघन की जानकारी और सुनवाई की तारीख दी जाएगी।
- व्यक्तिगत सुनवाई के बाद ही विध्वंस का अंतिम आदेश दिया जाएगा।
- आदेश को डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।
- 15 दिन के भीतर मालिक को ध्वस्तीकरण के लिए समय दिया जाएगा, अगर अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है।
- विध्वंस की वीडियोग्राफी की जाएगी और रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जाएगी।
- निर्देशों का पालन न करने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- सभी मुख्य सचिवों को इस आदेश के पालन का निर्देश दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि हर परिवार का सपना होता है अपना घर हो, और यह अहम सवाल है कि क्या कार्यपालिका को किसी के घर को बिना कानूनी प्रक्रिया के तोड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “कानून का शासन लोकतांत्रिक सरकार की नींव है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी की संपत्ति मनमाने तरीके से न छीनी जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर कार्यपालिका बिना अदालत के आदेश के किसी का घर तोड़ देती है, तो यह न्यायपालिका की जगह कार्यपालिका का हस्तक्षेप होगा, जो गलत है।