किसानों की आपत्ति
भांकरई, पुरैना, आगासौद, दौनमड़ी और हांसुआ के 50 से अधिक किसानों ने अलग-अलग आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि रिफाइनरी के आसपास पांच किलोमीटर में नो डेवलपमेंट जोन होने के कारण विकास कार्य नहीं हुए, जिससे जमीन की कीमत कम आंकी गई है। किसान चाहते हैं कि अधिग्रहण के बदले उन्हें जो मुआवजा मिल रहा है, वह जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं है, और इसलिए आसपास के अन्य गांवों की कलेक्टर गाइडलाइन से चार गुना ज्यादा मुआवजा दिया जाए।
किसानों की मांगें
किसानों ने यह भी कहा कि उनके द्वारा उपयोग की जा रही जमीन से जीवन यापन हो रहा है, और पास में ही उनका निवास है, जबकि शहर में जमीन की कीमत बहुत ज्यादा है, इसलिए उचित मुआवजा मिलना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने मांग की कि सभी किसानों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाएं, अधिग्रहित होने वाली जमीन के ट्यूबवेल, कुंआ, मकान और पेड़ों को सर्वे में शामिल किया जाए, और इसका पुनः सर्वे किया जाए।
रोजगार की समस्या
किसानों का कहना है कि जमीन जाने के बाद रोजगार एक बड़ी समस्या बनेगी, इसलिए उनके परिवार के एक सदस्य को स्थानीय स्तर पर रोजगार सुनिश्चित किया जाए, और साथ ही संबल योजना समेत अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए।
मुख्य मार्ग पर स्थित किसानों के लिए अधिक मुआवजा
किसानों का यह भी कहना है कि जिनकी जमीन मुख्य मार्ग, कच्चे रास्तों और ग्रामीण सड़कों से जुड़ी हुई है, उन्हें ज्यादा मुआवजा मिलना चाहिए, क्योंकि मौजूदा रिपोर्ट में सभी का मुआवजा एक समान तय किया गया है, जो गलत है।
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे एडीजे कोर्ट में मामला दायर करेंगे।