वन विभाग द्वारा जंगल में पेट्रोलिंग और सीसीटीवी की व्यवस्था की गई है, लेकिन इस बार विभाग को घायल बाघ की जानकारी नहीं मिली। बाघ मृत पाया गया स्थल रिहायशी इलाके के पास था, जहां तालाब भी था। ग्रामीणों ने बाघ के मूवमेंट की सूचना दी थी, लेकिन विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया। इसके कारण मध्यप्रदेश के बाघ कुनबे में एक और कमी हो गई।
बाघों की मौत का सिलसिला
मध्यप्रदेश, जो देश का ‘टाइगर स्टेट’ माना जाता है, में बाघों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में पेंच टाइगर रिजर्व में मई 2024 में एक बाघिन का शव मिला था, हालांकि उसकी मौत स्वाभाविक बताई गई थी। इसी तरह, जनवरी 2023 में एक बाघ की मौत करंट लगने से हुई थी। 2022 में भी एक बाघ की मौत दूसरे बाघ से संघर्ष में हुई थी।
पेंच टाइगर रिजर्व की प्रसिद्धि
पेंच टाइगर रिजर्व बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध है और पर्यटकों के बीच भी यह एक लोकप्रिय जगह है। हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक सफारी के लिए आते हैं। 2022 की अखिल भारतीय बाघ गणना के अनुसार, मध्यप्रदेश में 785 बाघ हैं, जो देश में सबसे अधिक हैं। पेंच नेशनल पार्क में 77 बाघ और 123 बाघ रिजर्व के क्षेत्र में रहते हैं।
खुफिया तंत्र की मजबूती की आवश्यकता
विशेषज्ञों का कहना है कि वन विभाग को जंगलों से सटे गांवों में खुफिया तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि समय पर सही जानकारी मिल सके। ग्रामीणों के पास अक्सर जंगल की जानकारी होती है और वे इस तरह के मामलों में मदद कर सकते हैं। साथ ही, पेट्रोलिंग को और बढ़ाना होगा, ताकि घटनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
डीएफओ का बयान
डीएफओ, एचएस मिश्रा ने कहा कि बाघ के पैरों में चोट लगने के कारण उसकी मौत हुई है। पेट्रोलिंग और मानिटरिंग को बढ़ाया जाएगा, और खुफिया तंत्र को भी मजबूत किया जाएगा ताकि समय-समय पर जानकारी मिलती रहे।