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ग्रेटर नगर निगम: वार्ड के विकास में 10 फीसदी पार्षदों ने भी नहीं दिखाई रुचि

जयपुर। ग्रेटर नगर निगम में वार्डों के विकास के लिए पार्षदों से प्रस्ताव मांगे गए थे, लेकिन हैरानी की बात यह है कि 10 फीसदी पार्षदों ने भी इस पर कोई रुचि नहीं दिखाई। जबकि, पहले पार्षदों ने साधारण सभा की बैठक बुलाने की कई बार मांग की थी, और एक प्रतिनिधिमंडल ने आयुक्त रूकमणी रियाड़ से भी मुलाकात की थी।

पार्षदों से प्रस्ताव क्यों मांगे जाते हैं:

पार्षदों से प्रस्ताव लेकर, वार्ड के विकास कार्यों और वहां की जरूरतों का पता चलता है, और उसी आधार पर बजट का आवंटन होता है। इस प्रक्रिया से पार्षदों को यह शिकायत नहीं रहती कि साधारण सभा में उनके वार्ड के बारे में जानकारी नहीं ली जाती।

विरोध क्यों हो रहा है:

पिछली बैठक में हर वार्ड को 1.10 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन अधिकांश वार्डों में केवल 50 से 60 लाख रुपए के काम ही हुए हैं। ऐसे में भाजपा के कुछ पार्षद बजट न मिलने से नाराज हैं।

उप महापौर ने उठाए सवाल:

उप महापौर पुनीत कर्णावट ने महापौर को पत्र लिखकर साधारण सभा के आयोजन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि पिछले छह साधारण सभाओं के प्रस्तावों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इन मुद्दों पर नहीं हुआ अमल:

  • अकुशल श्रमिकों के नियुक्ति का मामला लंबित है।
  • सीवरेज सफाई के लिए कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई।
  • स्ट्रीट लाइट कंपनियों का काम ठप है।
  • सामुदायिक केंद्रों का आधुनिकीकरण नहीं हुआ।
  • खेल अकादमी खोलने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में गया।
  • ग्रीन बॉन्ड जारी करने का प्रस्ताव भी लागू नहीं हो पाया।
  • तिलक नगर सामुदायिक केंद्र का आधुनिकीकरण भी नहीं हुआ।

महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि उन्होंने 5 नवम्बर को सभी पार्षदों को पत्र भेजकर प्रस्ताव मांगे थे, लेकिन अब तक केवल 10-12 पार्षदों ने ही प्रस्ताव भेजे हैं। उन्होंने स्मरण पत्र भेजे हैं और उम्मीद जताई कि साधारण सभा में सार्थक चर्चा तभी संभव होगी जब ज्यादा से ज्यादा सुझाव आएंगे।

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