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राजस्थान: एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध से नहरों में पानी छोड़ा, किसानों में खुशी की लहर

दौसा। कांकरिया ग्राम पंचायत में स्थित मोरेल नदी पर बने एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध मोरेल बांध से शुक्रवार को दोनों नहरों में पानी छोड़ा गया। यह नजारा पहली बार देखा गया, जिससे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई।

जल संसाधन विभाग के अभियंताओं ने पहले बांध की मोरी के वॉल्व की पूजा अर्चना की और फिर नहरों में पानी छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की। जैसे ही नहरों में पानी का बहाव देखा, ग्रामीणों और किसानों के चेहरे खुशी से खिल उठे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला और पुरुष किसान भी उपस्थित थे।

नहरों से पानी आता देख किसान अपने खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए प्रयास करते नजर आए। इस दौरान जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना और कनिष्ठ अभियंता अंकित मीना ने बांध की पाल पर स्थित पीर बाबा की मजार पर पूजा अर्चना की और मजार पर फूल चढ़ाए। नहरों में पानी छोड़े जाने के बाद ग्रामीणों को गुड़ वितरित कर मुंह मीठा कराया गया।

19 हजार हैक्टेयर भूमि में 75 दिनों तक सिंचाई
इस बार मोरेल बांध में पानी की पर्याप्तता के कारण सवाई माधोपुर और दौसा जिले के 83 गांवों में लगभग 19 हजार हैक्टेयर भूमि में 75 दिनों तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहेगा। सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि बांध में 2496 एमसीएफटी पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध रहेगा, जिससे 19 हजार 383 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी।

किसानों ने किया स्वागत
मोरेल बांध से पानी छोड़े जाने से कल्याणपुरा, कानलोंदा और अन्य गांवों के किसानों ने खुशी जताई और बताया कि बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है। अब रबी फसलों के लिए पानी की बहुत जरूरत थी, और इस पानी से फसलों को जीवनदान मिलेगा।

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