कुछ तस्वीरों से यह पता चला है कि अस्पताल में आग बुझाने के लिए रखे गए सिलेंडर (फायर एक्सटिंग्विशर) एक्सपायर हो चुके थे। ये सिलेंडर 2020 और 2023 में ही एक्सपायर हो चुके थे और अस्पताल ने इन्हें रिफिल नहीं कराया था।
घटना के बाद, पीड़ित परिवारों ने डीएनए टेस्ट की मांग की है। उनका आरोप है कि जब आग लगी थी, तब अस्पताल स्टाफ को बच्चों को सुरक्षित स्थान पर निकालना चाहिए था।
पीड़ित परिजनों की बातें:
कुलदीप नाम के एक पिता ने बताया कि आग लगने के बाद उन्होंने खुद कई बच्चों को बचाया, लेकिन उनका बच्चा अब तक लापता है। उनका परिवार काफी परेशान है और किसी ने भी यह नहीं बताया कि उनका बच्चा मिलेगा या नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि एक डॉक्टर ने गालियाँ दीं और कहा कि बच्चों को मरने दो।
महिला की बात:
माया नाम की एक महिला ने कहा कि उनका बच्चा भी अस्पताल में भर्ती था, लेकिन आग लगने की जानकारी उन्हें तब मिली जब लोग शोर मचाने लगे। लोग खिड़की तोड़कर बच्चों को बाहर निकाल रहे थे, लेकिन उनका बच्चा अभी तक लापता है।
अन्य पीड़ितों का कहना:
अंकित नाम के व्यक्ति ने बताया कि उनके छोटे भाई का बेटा अस्पताल में भर्ती था। उन्हें अस्पताल से बताया गया कि उनके बच्चे की मौत हो गई है। उन्होंने डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है। एक और महिला ने कहा कि हादसे के बाद उन्हें अस्पताल में जाने नहीं दिया गया और उनका बच्चा अब तक लापता है।