पं. शास्त्री ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हमें समाज में बदलाव लाने के लिए तलवारों का नहीं, बल्कि विचारों का उपयोग करना चाहिए। इस यात्रा का उद्देश्य विभिन्न पंथों में बटे हुए सनातन हिन्दुओं को एकजुट करना है। उन्होंने कहा कि हम इस यात्रा के माध्यम से हिन्दू समाज में जात-पात का भेद खत्म करने का प्रयास करेंगे।
इस दौरान पं. शास्त्री ने राष्ट्र ध्वज और धर्म ध्वज दोनों का सम्मान करने की बात कही और यात्रा की शुरुआत राष्ट्रगान से करने का प्रस्ताव रखा।
पदयात्रा में फूलमाला न पहनने का संकल्प लेते हुए पं. शास्त्री ने कहा कि वे किसी भी यात्रा में फूलमाला का इस्तेमाल नहीं करेंगे। इसके बजाय, उन्होंने सनातन प्रेमियों से अनुरोध किया कि वे फूलमाला में खर्च होने वाली राशि को अन्य कार्यों में लगाएं। उन्होंने छोटे बच्चों, वृद्धों और बीमार लोगों से यात्रा से दूर रहने का आग्रह किया और सभी यात्रियों से थाली, लोटा और एक कंबल लेकर चलने को कहा।
पदयात्रा 29 नवंबर को रामराजा सरकार के चरणों में समाप्त होगी, जहां यात्रा का समापन ध्वज समर्पित करके किया जाएगा। इस यात्रा में मलूक पीठाधीश्वर पूज्य राजेन्द्र दास महाराज, जगतगुरू रामभद्राचार्य महाराज, हनुमानगढ़ी के महंत राजूदास महाराज और अन्य संत महात्मा शामिल होंगे।