गायत्री परिवार के संस्थापक पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने सनातन धर्म को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए थे, जिनका असर आज भी देखा जा सकता है। यह गायत्री धाम उन्हीं प्रयासों का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य लोगों को जागरूक और संस्कारित करना है।
राज्यपाल गुलबाचंद कटारिया ने समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मेवाड़ की भूमि का सौभाग्य है कि भगवान श्रीनाथजी की धरा पर यह नया तीर्थ गायत्री धाम बनेगा। उन्होंने इस पवित्र भूमि के लिए आभार जताया और कहा कि अगर व्यक्ति सही दिशा में प्रयास करता है, तो सफलता अवश्य मिलती है।
गायत्री धाम का उद्देश्य और महत्व
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि अगर जीवन का उद्देश्य सही और स्पष्ट हो, तो व्यक्ति का मार्ग आलोकित होता है। उन्होंने कहा कि गायत्री धाम का निर्माण पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की 45 साल पहले की संकल्पना का हिस्सा है, जिसमें 24 शक्तियों का गायत्री धाम स्थापित करने का उद्देश्य था।
समारोह में हुई भूमि पूजन की प्रक्रिया
गायत्री धाम के निर्माण के लिए भूमि पूजन में शामिल अतिथियों ने कलश स्थापना की और चारों दिशाओं में ईंट रखकर पूजन किया। इसके बाद विभिन्न तीर्थ स्थलों से आई ईंटों को स्थापित किया गया। गायत्री परिवार के पदाधिकारियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा पूरी की।
समारोह में कई प्रतिष्ठित अतिथि और गायत्री परिवार के सदस्य मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन किया गया ताकि आने वाली पीढ़ियां संस्कारित हो सकें और इस नए तीर्थ स्थल से लाभ प्राप्त कर सकें।