ड्राफ्ट में हुई गड़बड़ी
कुछ शहरों में मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में इकोलॉजिकल एरिया का हिस्सा प्रभावित पाया गया, जिसे बाद में सुधार लिया गया। इसके बावजूद अधिकारी जोधपुर हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए बेहद सावधानी से काम कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि मास्टर प्लान 2011 में जिन क्षेत्रों को इकोलॉजिकल घोषित किया गया था, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा। इसी आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है।
मास्टर प्लान में विवाद की स्थिति
मास्टर प्लान 2011 में कई क्षेत्रों का उपयोग इकोलॉजिकल घोषित था, लेकिन 2025 के मास्टर प्लान में इन क्षेत्रों को आवासीय, व्यावसायिक या मिश्रित उपयोग के लिए बदल दिया गया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद कई बड़े प्रोजेक्ट अटक गए हैं।
रसूखदारों की मुश्किलें
जयपुर समेत अन्य शहरों में इकोलॉजिकल जोन में कई बड़े बिल्डरों और रसूखदारों की जमीनें हैं। इन क्षेत्रों में प्रस्तावित बड़े प्रोजेक्ट्स, जैसे कि सीकर रोड और दिल्ली रोड के बीच इंडस्ट्रियल योजना, ग्राम नटाटा में आवासीय योजना और आगरा रोड पर एक बड़े शैक्षणिक संस्थान का निर्माण, अभी अटके हुए हैं। यही कारण है कि पूर्ववर्ती सरकारें मास्टर प्लान के नियमों में बदलाव के लिए कोशिश करती रही हैं।
राज्य सरकार ने अब सभी अफसरों को सख्त निर्देश दिए हैं कि भविष्य में इकोलॉजिकल क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।