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सिकलसेल रोग: बालाघाट जिला प्रदेश में दूसरे स्थान पर, बढ़ते मामलों पर चिंता

बालाघाट: बालाघाट जिले में सिकलसेल रोग तेजी से बढ़ रहा है। रोगियों की संख्या के मामले में यह जिला अब प्रदेश में दूसरे स्थान पर आ गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे नियंत्रित करने के लिए अभियान शुरू किया है।

जिले में सिकलसेल रोग का बढ़ता असर

स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2023 से चलाए गए अभियान में अब तक 2 लाख 38 हजार लोगों की जांच की गई है। इनमें 3541 संभावित रोगी और 1200 सिकलसेल पॉजिटिव मामले मिले हैं। वर्तमान में 1048 रोगियों का हाइड्रोक्सी यूनिया प्रक्रिया के तहत उपचार किया जा रहा है।

क्या है सिकलसेल रोग?

सिकलसेल रोग एक वंशानुगत रक्त विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सामान्य आकार के बजाय अर्धचंद्राकार (C-आकार) की हो जाती हैं।

सिकलसेल रोग के लक्षण

  1. अचानक और तीव्र दर्द।
  2. हड्डियों में दर्द।
  3. आंखों की समस्याएं।
  4. पैरों में सूजन और दर्द।
  5. संक्रमण का खतरा।
  6. लकवे (पैरालिसिस) की संभावना।

रोग के कारण

जिले में अधिक प्रभावित क्षेत्र

परीक्षण और सावधानियां क्यों जरूरी?

रोग से बचाव के उपाय

  1. संतुलित आहार, जैसे दाल, अंडे, मछली और बीन्स का सेवन करें।
  2. नशे से बचें।
  3. किसी भी परेशानी पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

आजीवन बीमारी, पर इलाज संभव

यह एक आजीवन बीमारी है, लेकिन स्टेम सेल प्रत्यारोपण और सही इलाज से लक्षणों को कम किया जा सकता है। निरंतर देखभाल के साथ रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।

विशेष अपील

डॉ. मनोज पांडे (सीएमएचओ) ने जिलेवासियों से अपील की है कि विवाह से पहले वर-वधू की सिकलसेल रिपोर्ट का मिलान जरूर करें। इससे बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है।

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