चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों ने महापौर और आयुक्त से मिलकर व्यापारी समस्याओं पर चर्चा की और पार्किंग व्यवस्था के लिए समय सीमा बढ़ाने की अपील की। इसके बाद निगम ने बेसमेंट की कार्रवाई को ठप कर दिया और व्यापारी वर्ग से चर्चा करने का फैसला किया।
निगम की कार्रवाई के बाद अग्रवाल धन्वंतरी काम्प्लैक्स में एक मेडिकल स्टोर में दवाइयां बेची जा रही थीं। हैरानी की बात यह थी कि जिस मेडिकल स्टोर को डॉ अत्रिवाल ने गोडाउन बताया था, वहीं दूसरे दिन पर्चे पर दवाइयां बिक रही थीं। इस स्टोर के शटर पर “मेडिकल स्टोर” लिखा गया था, जबकि पहले उसे गोडाउन के रूप में चिह्नित किया गया था।
इसके अलावा शुक्ला काम्प्लैक्स के बेसमेंट में भी कई चिकित्सा सेवाएं सील की गई थीं, लेकिन दूसरे दिन वहां कुछ सामग्री रखी रही थी। निगम की कार्रवाई पर सवाल उठते हुए यह भी सामने आया कि निगम ने 28 बेसमेंट संचालकों को नोटिस जारी किया था, लेकिन अभी तक केवल 16 दुकानों को सील किया गया है। मीडिया के अनुरोध के बावजूद निगम ने कार्रवाई की पूरी लिस्ट जारी नहीं की।
निगम उपायुक्त एसआर सिटोले ने कहा कि अग्रवाल काम्प्लैक्स में गोडाउन को सील से मुक्त रखा गया था, लेकिन अगर वहां व्यवसायिक गतिविधि हो रही है तो वह जांच कर कार्रवाई करेंगे।
चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने महापौर से मिलकर निगम के सभी नियमों के तहत समस्या हल करने का आश्वासन प्राप्त किया।