क्या है मामला?
गोरखपुर नगर निगम ने सेवानिवृत्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और लेखपाल की आउटसोर्सिंग भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया। अखिलेश यादव ने इस विज्ञापन पर टिप्पणी करते हुए भाजपा सरकार पर कटाक्ष किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “बेहतर होगा कि भाजपा पूरी सरकार को ही आउटसोर्स कर दे, जिससे उनका कमीशन आसानी से सेट हो जाए।”
महापौर का पलटवार
महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने इस टिप्पणी को भ्रामक बताते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता बिना तथ्यों की जांच किए बयान देते हैं। उन्होंने बताया कि पहले भी, जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तब 2013 में एक सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार सतीश श्रीवास्तव की आउटसोर्सिंग पर नियुक्ति की गई थी, जो अब भी काम कर रहे हैं।
भर्ती की जरूरत और प्रक्रिया
महापौर ने कहा कि नगर की बढ़ती जनसंख्या, परियोजनाओं और राजस्व मामलों के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों की जरूरत है। 19 नवंबर को तीसरी बार विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें स्पष्ट रूप से सेवानिवृत्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अन्य राजस्व कर्मियों की आउटसोर्सिंग भर्ती का उल्लेख है।
आउटसोर्सिंग सामान्य प्रक्रिया है
महापौर ने बताया कि सिर्फ नगर निगम ही नहीं, बल्कि प्रदेश के अन्य विकास प्राधिकरण और कई निजी कंपनियां भी राजस्व मामलों के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों की सेवाएं लेती हैं। उन्होंने अखिलेश यादव की टिप्पणी को भ्रामक और जनता को गुमराह करने वाला बताया।
यह विवाद भाजपा और सपा के बीच एक बार फिर राजनीतिक गर्मी बढ़ा रहा है।