प्रवासी मंत्री ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन कलेक्ट्रेट में विभागीय योजनाओं की समीक्षा की और सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने की बात की। हालांकि, इस दौरान कोई नया बजट या योजना प्रस्तुत नहीं की गई। एक निजी होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा को कोई नई सौगात मुख्यमंत्री के निर्देशों पर ही दी जाएगी।
मंत्री ने यह भी बताया कि छिंदवाड़ा को पहले ही 250 करोड़ रुपए की सड़कें मिल चुकी हैं। इसके अलावा, उन्होंने कुछ पुराने अनुभव भी साझा किए और मुख्यमंत्री कमलनाथ के बारे में कुछ बातें की।
बैठक की अनुपस्थिति और बजट की चर्चा
प्रभारी मंत्री ने जिला योजना समिति की बैठक नहीं ली, जिसे लेकर शहर में चर्चा रही। प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में यह माना गया कि बैठक होती तो प्रशासन को योजनाओं के खर्च का बजट प्रस्तुत करना पड़ता। क्योंकि सरकार के पास बजट की कमी है, इसलिए बैठक को टाल दिया गया।
स्वागत में कमी और नेतागिरी की प्रतिस्पर्धा
शहर में प्रभारी मंत्री के स्वागत में कमी महसूस की गई। जितने बैनर-पोस्टर गली-मोहल्लों और मुख्य सड़कों पर होने चाहिए थे, उतने नहीं थे। राजनीतिक हलकों में चर्चा थी कि स्वागत समारोह कमलनाथ के जन्मदिन पर ज्यादा धूमधाम से हुआ था।
भा.ज.पा. कार्यालय में प्रभारी मंत्री के आगमन पर नेतागिरी की प्रतिस्पर्धा साफ दिखाई दी। एक नेता के आने पर भाजपा के पदाधिकारी ने उन्हें बुलाकर पूछताछ की, जिससे उनके विरोधी नेता को ठेस लगी और वे तुरंत कार्यालय से बाहर चले गए।