जानकारी के अनुसार, एसीयूआई के हिसाब से 0 से 50 अच्छा, 51 से 100 ठीक, 101 से 200 मध्यम, 200 से 300 खराब, 300 से 400 गंभीर और 400 से 500 खतरनाक माना जाता है। इस समय शहर का एसीयूआई हानिकारक स्तर तक बढ़ चुका है। जिला पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, 15 नवम्बर को एसीयूआई 203, 16 को 156, 17 को 126, 18 को 147, 19 को 221 और 20 को 194 तक पहुंच गया है। दीपावली के बाद 1 नवम्बर को एसीयूआई 142 और 2 नवम्बर को 127 था। यह स्थिति तब है जब जिले में कई जंगल हैं।
कचरे में आग लगाने से प्रदूषण बढ़ रहा है
शहर में नियमित रूप से कचरे के ढेर नहीं उठाए जाते, जिसके कारण सफाई कर्मचारी इन्हें जलाकर नष्ट कर देते हैं। इससे काफी देर तक धुआं निकलता रहता है। प्रतिदिन दो से तीन दर्जन कचरे के ढेरों में आग लगाई जाती है। अस्तोली रोड स्थित डंपिंग यार्ड में कई महीनों से आग लगी हुई है, जिससे भारी धुआं निकलता है और यह आसपास के वन क्षेत्रों, जैसे रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व को भी प्रभावित करता है।
प्रदूषण के अन्य कारण
जिला पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की अधिकारी सविता चौधरी ने बताया कि शहर में बढ़ते एसीयूआई के मुख्य कारण हैं कचरे के ढेर जलाना, वाहनों का प्रदूषण, सड़कों पर गड्ढों से उड़ने वाली धूल, पहाड़ी क्षेत्रों में खनन और शादी समारोहों तथा अन्य आयोजनों में आतिशबाजी।
सीएएक्यूएमएस सिस्टम से हो रही निगरानी
जिले में सीएएक्यूएमएस (कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम) लगा हुआ है, जो सिविल लाइन और देवपुरा में डिस्प्ले बोर्ड पर 24 घंटे के आंकड़े दिखाता है।
दमा रोगियों को हो रही परेशानी
वायु प्रदूषण के कारण दमा के रोगियों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। जिला चिकित्सालय के फिजीशियन पवन भारद्वाज ने बताया कि इन दिनों अस्पताल में 25 से 30 दमा रोगी आ रहे हैं, जिनमें 20 से 30 वर्ष के युवा भी शामिल हैं। दीपावली के पहले तक यह संख्या 5 से 10 तक होती थी। बढ़ते वायु प्रदूषण से इन रोगियों के लिए स्थिति और गंभीर हो सकती है।
कचरे के ढेर और प्रदूषण के बढ़ते असर पर ध्यान देने की आवश्यकता
कई बार हवा के रुख के कारण एसीयूआई अचानक बढ़ जाता है। इसलिए लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना जरूरी है। कचरे के ढेर में आग लगाने से हवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, और इस पर जिला कलक्टर और नगर परिषद के आयुक्त को लिखा जाएगा।