योजना का उद्देश्य:
इस योजना का मकसद शहरी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को हर साल 100 दिनों का रोजगार देना है। इसके लिए सरकार हर साल करीब 800 करोड़ रुपये खर्च करती है।
योजना की शुरुआत:
यह योजना पहली बार साल 2022-2023 के बजट में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुरू की थी। इसका लाभ 18 से 60 साल की उम्र के उन लोगों को दिया जाता है, जो शहरी स्थानीय निकाय क्षेत्रों में रहते हैं और जिनके पास जन आधार कार्ड है।
योजना के तहत काम:
- सार्वजनिक स्थानों पर वृक्षारोपण
- पार्कों का रखरखाव
- फुटपाथ और डिवाइडर पर पौधों को पानी देना
- नर्सरी तैयार करना (वन, बागवानी, कृषि विभाग के तहत)
विशेष परिस्थितियों जैसे महामारी या आपदा में प्रवासी मजदूरों को भी इस योजना में शामिल किया गया है।
भुगतान की प्रक्रिया:
सरकार को मजदूरों का भुगतान 15 दिनों के अंदर उनके बैंक खातों में करना होता है।
नए नाम का मतलब:
सरकार का कहना है कि इस योजना के नए नाम और लोगो के जरिए इसे और अधिक प्रभावी और पहचानने योग्य बनाया गया है।