कानून की बजाय दंगे?
डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा, “एक ओर कानून पर विश्वास जताने की बात की जाती है और दूसरी ओर दंगे भड़काए जाते हैं। ऐसा कौन सा कानून और इंसानियत है? यदि हिंसा करनी थी, तो अपने नेताओं और कमेटी पर करते। देश कानून से चलता है, दंगों से नहीं।”
मुस्लिम समाज का वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल
उन्होंने यह भी कहा कि कई सालों से मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। डॉ. इंद्रेश ने बताया कि यह मामला कोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ था और दोनों पक्ष स्वयं अदालत गए थे। अदालत के निर्देश पर ही वक्फ संपत्तियों का सर्वे किया जा रहा है। अगर किसी को आपत्ति थी तो उन्हें अदालत पर सवाल उठाना चाहिए था, न कि हिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए था।
वक्फ संपत्तियों का संरक्षण
वक्फ संपत्तियों के संरक्षण पर उन्होंने कहा कि जिन मुतवल्ली (प्रबंधक) को इन संपत्तियों की रक्षा का जिम्मा दिया गया है, वही इन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकार इन संपत्तियों को बचाने का प्रयास कर रही है।
हिंसा और नेताओं पर सवाल
डॉ. इंद्रेश ने पूछा कि अगर पिछले छह महीने से यह प्रक्रिया चल रही थी, तो फिर पत्थरबाजी और दंगों की जरूरत क्यों पड़ी? उन्होंने विपक्षी दलों और स्थानीय नेताओं पर निशाना साधते हुए मुस्लिम समाज को सलाह दी कि वे अपने दोस्त और दुश्मन को पहचानें।
देश को कानून और भाईचारे से चलने की जरूरत
कार्यक्रम के अंत में डॉ. इंद्रेश कुमार ने कहा, “अगर आप कानून पर विश्वास नहीं करते, तो कोर्ट का सहारा क्यों लिया? हिंसा और दंगे से कुछ हासिल नहीं होगा। देश को कानून और भाईचारे के रास्ते पर चलना होगा।”