
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को आरक्षण और उसकी 65 प्रतिशत सीमा के मुद्दे पर तीखा हंगामा हुआ। इस दौरान विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और उनके समर्थकों ने सदन के बाहर तख्तियां लेकर प्रदर्शन भी किया।
तेजस्वी यादव ने उठाया आरक्षण का मुद्दा
बिहार विधानसभा में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच आरक्षण के मुद्दे पर जमकर बहस हुई। विधानसभा में कार्यवाही के दौरान सभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव को खारिज किया, जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार में जाति सर्वेक्षण के आधार पर आरक्षण सीमा बढ़ाने का श्रेय लेने की कोशिश की। उन्होंने महागठबंधन सरकार के दौरान ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने की बात की।
सम्राट चौधरी ने किया विरोध
इस पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि यह महागठबंधन सरकार नहीं, बल्कि राजग सरकार थी, जिसने आरक्षण की सीमा बढ़ाई और हर वर्ग को इसका लाभ मिला। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता यादव परिवार के शासनकाल को नहीं भूल सकती, जब इन वर्गों को कोई आरक्षण नहीं मिला था। इस बयान से नाराज होकर विपक्ष सदन से बाहर चला गया।
65 प्रतिशत आरक्षण पर कोर्ट का फैसला
तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने 19 नवंबर 2023 को आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत की थी, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण जारी रखा गया था। हालांकि, पटना उच्च न्यायालय ने जाति सर्वेक्षण को सही तरीके से नहीं किए जाने के कारण 65 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को खारिज कर दिया। यादव ने भाजपा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा कि भाजपा से जुड़े लोग न्यायालय में गए थे।
विजय कुमार सिन्हा का बयान
इस पर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि बिना साक्ष्य के किसी भी दल के खिलाफ बयान देना संविधान के खिलाफ है। उन्होंने विपक्षी दल के नेता तेजस्वी यादव पर संविधान के खिलाफ काम करने का आरोप भी लगाया।
तेजस्वी यादव का आरोप और सुझाव
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि बिहार के लोगों को आरक्षण में 16 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है। उन्होंने राज्य विधानसभा की एक समिति गठित करने की मांग की, ताकि आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 85 प्रतिशत किया जा सके। इसके लिए उन्होंने राज्य विधानसभा के चालू सत्र को कुछ दिनों के लिए बढ़ाने की अपील की।