
ई-रिक्शा के बढ़ते इस्तेमाल और समस्या
केंद्र और राज्य सरकारें ई-रिक्शा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही हैं, ताकि लोग आसानी से इसे खरीद सकें। इसके परिणामस्वरूप शहर में ई-रिक्शा, ई-बाइक और इलेक्ट्रिक कारों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन शहर में अभी तक ई-रिक्शा के लिए कोई चार्जिंग प्वाइंट नहीं है। यह समस्या मुख्य रूप से ई-रिक्शा चालकों को होती है, जिन्हें अपनी गाड़ियों को घरों में चार्ज करना पड़ता है।
चार्जिंग के दौरान खतरे और समस्या
ई-रिक्शा को चार्ज करते समय शॉर्ट सर्किट और आग लगने का खतरा रहता है। कई बार घरों में ई-रिक्शा चार्ज करते समय शॉर्ट सर्किट की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा, घरों की बिजली से ई-रिक्शा चार्ज करने पर विद्युत वितरण कंपनियों को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
शहरी इलाकों में बढ़ रही परेशानी
शहरी क्षेत्रों में ई-रिक्शा का इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन इनकी चार्जिंग के लिए कोई जगह उपलब्ध नहीं है। एक ई-रिक्शा को पूरी तरह चार्ज करने में 6 से 7 घंटे लगते हैं, और इसमें लगभग 9 यूनिट बिजली खर्च होती है। हालांकि, बड़े शहरों में 70 से 80 चार्जिंग प्वाइंट बनाए गए हैं, लेकिन इस शहर में इसकी सुविधा नहीं है।
ई-रिक्शा चालकों की कठिनाई
ई-रिक्शा चालक अच्छी कमाई कर रहे हैं, लेकिन चार्जिंग प्वाइंट की कमी के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बैटरी खत्म होने पर उन्हें घर वापस लौटना पड़ता है, जिससे उनकी रोज़ाना की कामकाजी जीवन में रुकावटें आती हैं। कई बार रास्ते में ही रिक्शा बंद हो जाती है।
ई-रिक्शा चालकों का सुझाव
ई-रिक्शा चालक शेखर साहु का कहना है कि रेलवे स्टेशन और नए बस स्टैंड पर चार्जिंग प्वाइंट बनाना जरूरी है, ताकि एक साथ कई वाहनों को चार्ज किया जा सके। यदि चार्जिंग प्वाइंट बने, तो ई-रिक्शा मालिकों को काफी राहत मिलेगी।
गैराज और घरों में चार्जिंग की समस्या
कुछ ई-रिक्शा मालिक चोरी-छिपे गैराज में भी अपनी गाड़ियों को चार्ज कर रहे हैं। इससे घरों में शॉर्ट सर्किट और अन्य जोखिमों की संभावना बढ़ रही है। चार्जिंग के दौरान लगभग 27 हजार यूनिट बिजली की खपत होती है, लेकिन इन वाहनों को चार्ज करने के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई है।
बैट्री की क्षमता और चार्जिंग की आवश्यकता
ई-रिक्शा की बैट्री की क्षमता पर निर्भर करता है कि वह कितनी दूरी तक चलेगा। लैड बैट्री वाली गाड़ी 60 से 70 किलोमीटर तक चल सकती है, जबकि लिथियम बैट्री वाली गाड़ी 70 से 80 किलोमीटर तक दौड़ सकती है।
सरकार ने ई-रिक्शा को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी दी है, लेकिन इसके चार्जिंग प्वाइंट की व्यवस्था नहीं की है। यदि चार्जिंग प्वाइंट की सुविधा मिलती है, तो ई-रिक्शा चालक को बहुत सी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।