सड़क सुरक्षा की खामियां:
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) द्वारा किए गए सुरक्षा ऑडिट में कई खामियां सामने आई हैं। सीआरआरआई ने एक्सप्रेसवे की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कुछ सिफारिशें की थीं, जिन पर समय पर काम नहीं किया गया। 2023 के अंत में लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से कुछ सिफारिशों को लागू किया गया, लेकिन सुरक्षा में देरी क्यों हुई, इस पर सवाल उठ रहे हैं।
सीआरआरआई की रिपोर्ट:
सीआरआरआई ने 2018 से 2019 के बीच एक्सप्रेसवे का सुरक्षा ऑडिट किया था। इसके आधार पर रिपोर्ट में कहा गया था कि एक्सप्रेसवे पर कई खामियां हैं:
- क्रैश बैरियर का अभाव: एक्सप्रेसवे पर केंद्रीय रिज पर क्रैश बैरियर नहीं लगाए गए, जो वाहनों के विपरीत दिशा में जाने से रोक सकते थे।
- क्रैश बैरियर की ऊंचाई में कमी: सड़क किनारे लगे क्रैश बैरियर की ऊंचाई मानक से कम पाई गई, जिससे सुरक्षा में कमी आई।
- दृश्यता की कमी: रात के समय क्रैश बैरियर और पुल के पैरापेट पर रेट्रो-रिफ्लेक्टिव टेप की कमी से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है।
- सुरक्षा उपायों की कमी: क्रैश बैरियर के ट्रांजिशन और एंड ट्रीटमेंट की उचित व्यवस्था नहीं की गई थी।
- मरम्मत में देरी: कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त क्रैश बैरियर की मरम्मत नहीं की गई, जिससे सुरक्षा में और कमी आई।
इन खामियों को नजरअंदाज करना बड़े हादसों का कारण बन सकता है, जैसा कि हाल ही के हादसे में देखा गया।