शहर के तोरवा निवासी नीरज गेमनानी एक ऐसे उदाहरण हैं, जो समाज सेवा और गौ सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य मानते हुए पिछले 1200 दिनों से बेसहारा गायों को रोज़ 100 रोटियां गुड़ के साथ खिला रहे हैं। उन्होंने इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है और किसी प्रचार के बिना लगातार यह काम कर रहे हैं।
हादसों से बचाने के लिए रेडियम बेल्ट
नीरज ने बताया कि अब तक वह 5000 से अधिक गायों को सड़क हादसों से बचाने के लिए रेडियम बेल्ट पहनाकर सुरक्षित कर चुके हैं। उनका कहना है कि अब शांता फाउंडेशन सड़कों पर घूम रही गायों को और अधिक बचाने के लिए रेडियम बेल्ट बांधने के काम को तेज करेगा।
काम में बढ़ता हुआ सहयोग
नीरज ने यह काम अकेले शुरू किया था, लेकिन उनके नि:स्वार्थ सेवा को देखकर और लोग भी जुड़ने लगे। कोरोनाकाल में शांता फाउंडेशन ने वंचित महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण और सिलाई मशीनें दी थीं। इसके अलावा, रोजगार के लिए निशुल्क कोचिंग क्लास और कंप्यूटर प्रशिक्षण भी करवाया गया।
कुष्ठ रोगियों के लिए खास पहल
नवरात्रि के दौरान शांता फाउंडेशन की टीम हर साल ब्रह्म विहार में रहने वाले कुष्ठ रोगियों को रतनपुर लेकर जाती है और उन्हें मां महामाया के दर्शन कराती है। इस दौरान इन रोगियों के खाने-पीने की जिम्मेदारी भी फाउंडेशन उठाती है।
लोगों को प्रेरित कर रहे हैं नीरज
नीरज ने बताया कि शांता फाउंडेशन का नाम उन्होंने अपनी मां के नाम पर रखा है। उनका उद्देश्य यह है कि यदि लोग अपनी आसपास की गायों के लिए रोटियां गुड़ डालें तो यह एक बड़ी सेवा होगी।
नीरज की यह प्रेरणादायक पहल समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला रही है और दूसरों को भी गौ सेवा में भाग लेने के लिए प्रेरित कर रही है।