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सार:
नई भूमि आवंटन नीति के ड्राफ्ट में निर्माण में देरी करने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। अब बिना पेनल्टी के छूट नहीं मिलेगी।
विस्तार:
जयपुर में नई भूमि आवंटन नीति के ड्राफ्ट में यह तय किया गया है कि यदि आवंटित भूमि पर निर्धारित समय में निर्माण नहीं किया गया, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। पहले सरकार एक साल की छूट दे सकती थी, लेकिन अब यह छूट बिना पेनल्टी के नहीं मिलेगी। इस नई नीति के अनुसार, निर्माण में देरी पर हर वर्ष 10 प्रतिशत पेनल्टी लगाई जाएगी। इसमें रियायती दर, सार्वजनिक उपयोग, उद्योग और राजनीतिक दलों को दी गई भूमि शामिल है।
आवंटी को भूमि आवंटन के बाद दो साल का समय मिलेगा, और फिर स्थानीय निकाय या प्राधिकरण स्तर पर अतिरिक्त दो साल की छूट भी मिल सकेगी। जनता से ड्राफ्ट पर आपत्ति और सुझाव मांगे गए हैं।
मौजूदा नीति के अनुसार, यदि कोई राजनीतिक दल भूमि आवंटन के बाद राष्ट्रीय स्तर का नहीं रहता है, तो आवंटित भूमि और निर्मित भवन स्थानीय निकाय के कब्जे में ले लिए जाएंगे। लेकिन ड्राफ्ट में यह प्रावधान हटाने का प्रस्ताव है।
प्रोजेक्ट रिपोर्ट जमा करनी होगी:
आवंटित भूमि पर प्रस्तावित प्रोजेक्ट की विस्तृत रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसमें भूमि की न्यूनतम आवश्यकता, प्रस्तावित निर्माण का विवरण, वित्तीय लागत का अनुमान और भवन के उपयोग का उद्देश्य बताना होगा। प्रोजेक्ट पूरा करने की समय सीमा भी स्पष्ट करनी होगी।
संस्थान को यह भी बताना होगा कि भूमि आवंटन से परियोजना का लाभ किन वर्गों को कैसे मिलेगा। इसके अलावा, आवंटित भूमि की राशि अब अधिकतम 30 दिन में जमा कराने का प्रावधान है, जिसे पहले 10 महीने में जमा करने का नियम था।
अन्य प्रस्तावित बदलाव:
- रियायती दर पर भूमि आवंटन मास्टर प्लान में अंकित उपयोग के अनुसार होगा।
- भूउपयोग परिवर्तन नियमों के अनुसार होने पर ही भूमि आवंटन होगा।
- शहीद स्मारक निर्माण के लिए शहीद के जन्म स्थान से जुड़े निकाय क्षेत्र में 500 वर्गमीटर तक भूमि नि:शुल्क आवंटित की जाएगी।