राजस्थान। जल जीवन मिशन (जेजेएम) में 55 करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। जांच के लिए बनी तीन कमेटियां खुद ही मामले को दबाने की कोशिश कर रही हैं। विजिलेंस और गुणवत्ता नियंत्रण विंग की टीमों को इस घोटाले की जांच करनी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस रिपोर्ट पेश नहीं की गई है।
कैसे हुआ घोटाला?
- इंजीनियरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से बिना काम किए ही 55 करोड़ का भुगतान कर दिया गया।
- जल जीवन मिशन पोर्टल पर फर्जी एंट्री कर श्री श्याम ट्यूबवेल और गणपति ट्यूबवेल कंपनी को पैसा दिया गया।
- 900 करोड़ के टेंडर के लिए फर्जी प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल किया गया।
इंजीनियर बचना चाहते हैं जांच से
- कांग्रेस सरकार के समय हुए इस घोटाले की जांच के लिए 31 जनवरी 2025 को तीन कमेटियां बनाई गईं।
- इन कमेटियों को 15 फरवरी तक रिपोर्ट देनी थी, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई।
- जांच में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि सीनियर इंजीनियरों का दबाव है।
- अगर सही तरीके से जांच हुई तो 150 इंजीनियरों पर गाज गिर सकती है।
कैसे हुआ फर्जी भुगतान?
- जेईएन और एईएन ने बिना काम किए ही पाइपलाइन बिछाने की झूठी एंट्री कर दी।
- इस एंट्री के आधार पर ठेकेदारों को 55 करोड़ का भुगतान कर दिया गया।
- अब तीनों कमेटियां यह जांच कर रही हैं कि फील्ड इंजीनियरों की गलती थी या नहीं।
मंत्री बोले- हर हाल में होगी जांच
राजस्थान के जलदाय मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने कहा कि इस मामले की पूरी जांच होगी।
उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के कारण अधिकारी व्यस्त थे, लेकिन अब तीनों कमेटियों की जांच कहां तक पहुंची है, इसकी जानकारी ली जाएगी।