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मुरैना: जौरा-सबलगढ़ रोड पर 18 करोड़ की लागत से बन रही सड़क का निर्माण बहुत धीमी गति से हो रहा है। तय समय 6 महीने में काम पूरा करना था, लेकिन 4 महीने बीतने के बाद भी एक तरफ की सड़क पूरी नहीं हो सकी। निर्माण में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिनमें नाले को टेढ़ा बनाना और फुटपाथ की जगह खत्म करना मुख्य समस्या है।
टेढ़ा नाला, खत्म होता फुटपाथ
बैरियर से मुरैना गांव तक 4 किमी लंबी सड़क बनाई जा रही है, लेकिन निर्माण में नियमों की अनदेखी हो रही है। नियमानुसार, सड़क के दोनों ओर 7-7 फुट चौड़ी सड़क, डेढ़-डेढ़ फुट का नाला और ढाई-ढाई मीटर का फुटपाथ बनना था। लेकिन नाले को टेढ़ा बना दिया गया है, जिससे फुटपाथ की जगह ही खत्म हो गई है।
निर्माण कार्य पर नहीं हो रही सही निगरानी
सड़क निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं, फिर भी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। अधिकारियों की मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। जहां जगह मिल रही है, वहां नाले को मोड़ दिया जा रहा है, जिससे आगे चलकर राहगीरों को दिक्कत हो सकती है।
क्यों टेढ़ा किया जा रहा नाला?
मुरैना गांव से बैरियर तक सड़क के दोनों तरफ लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, जिसे पूरी तरह हटाया नहीं गया। इसी कारण नाले को मोड़ना पड़ रहा है, जिससे उसकी चौड़ाई और सुंदरता दोनों प्रभावित हो रही हैं।
त्योहार के कारण बंद हुआ निर्माण कार्य
होली के त्योहार की वजह से कर्मचारी छुट्टी पर चले गए हैं, जिससे पिछले 2-3 दिनों से काम पूरी तरह बंद पड़ा है। विभाग के अधिकारी भी यह नहीं बता पा रहे कि निर्माण कार्य दोबारा कब शुरू होगा।
जरूरी आंकड़े (फैक्ट फाइल)
- 10,000 लोग रोजाना इस सड़क से यात्रा करते हैं।
- 50 यात्री बसें इस मार्ग से गुजरती हैं।
- 1,000 से ज्यादा चार पहिया वाहन सड़क पर चलते हैं।
- 5,000 से ज्यादा दोपहिया वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं।
- 18 करोड़ की लागत से सड़क बनाई जा रही है।
- 4 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है।
- 3 किमी सड़क का एक साइड पूरा हो चुका है।
- 1 किमी तक नाले का निर्माण किया जा चुका है।
लोगों की राय
- मधुकर शर्मा (राहगीर): “नाले का निर्माण सीधा न होकर टेढ़ा हो रहा है, जिससे फुटपाथ की जगह खत्म हो गई है। यह गलत तरीका है।”
- उपेन्द्र सिंह (रहवासी): “सरकार ने इतना बड़ा बजट दिया है, फिर भी काम की गुणवत्ता ठीक नहीं है। अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे, और ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं।”
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
पत्रकार ने नेशनल हाईवे पीडब्ल्यूडी के ईई आईपीएस जादौन से बात की –
- पत्रकार: क्या आपने जौरा रोड के नाले का निर्माण देखा है?
- ईई: मेरे पास इतना समय नहीं होता, मेरा स्टाफ देखता है।
- पत्रकार: नाला टेढ़ा बना दिया गया है, जिससे फुटपाथ पूरी तरह खत्म हो गया है।
- ईई: आपने बताया है तो देख लेंगे।
- पत्रकार: निर्माण का बजट बड़ा है, लेकिन मॉनीटरिंग सही नहीं हो रही।
- ईई: हमारा एसडीओ और स्टाफ वहां गया होगा, हम पता करवा लेंगे।
निष्कर्ष
अगर सही मॉनीटरिंग नहीं हुई, तो यह सड़क लोगों की सुविधा के बजाय परेशानी का कारण बन सकती है। अधिकारी और ठेकेदार गुणवत्ता का ध्यान रखें, ताकि जनता को सही सुविधाएं मिल सकें।