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छतरपुर जिले में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। गांव-गांव में बुंदेली फाग गीतों की महफिलें सज रही हैं, जो रंग और खुशी का प्रतीक हैं। ये फाग गीत बुंदेली संस्कृति की अनमोल धरोहर को संजोने का काम कर रहे हैं।
गांवों में फाग गीतों की धूम
जिले के छतरपुर, राजनगर, नौगांव, बड़ामलहरा, चंदला और बकस्वाहा जैसे क्षेत्रों में फाग गीतों की खास महफिलें हो रही हैं। इन गीतों में प्रेम, मस्ती और वसंत के रंग देखने को मिल रहे हैं। ग्रामीण कलाकार ढोलक, मंजीरा और बांसुरी जैसे वाद्ययंत्रों के साथ गीत गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।
बुंदेली कलाकारों की शानदार प्रस्तुति
इन कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकार अपनी गायकी और नृत्य से लोगों का दिल जीत रहे हैं। फाग गीतों में देवताओं की महिमा, प्रेम कहानियां और वसंत ऋतु के स्वागत की झलक देखने को मिलती है। छोटे गांवों से लेकर बड़े मंचों तक रंगों और गीतों का यह अनोखा संगम लोगों को जोड़ रहा है।
रंगपंचमी की जोरदार तैयारी
होली का उत्सव रंगपंचमी तक जोश और उत्साह के साथ चलेगा। इन आयोजनों से युवाओं में बुंदेली कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। यह महफिलें स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतरीन मौका भी दे रही हैं।
सांस्कृतिक एकता और भाईचारे का संदेश
बुंदेली फाग गीतों के जरिए समाज में एकता और प्रेम का संदेश दिया जा रहा है। गांव-गांव के लोग एक साथ मिलकर होली के रंगों में रंग रहे हैं। इससे युवा पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जुड़ने का मौका मिल रहा है और बुंदेली लोक कला को संजोने में मदद मिल रही है।
बुंदेली कलाकारों का मानना है कि इस तरह के सांस्कृतिक आयोजन युवाओं को अपनी परंपरा और संस्कृति से जोड़ने का शानदार जरिया हैं।