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तालेड़ा उपखंड के सुवासा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले 20 दिनों से डॉक्टर नहीं हैं, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। खासकर गर्भवती महिलाएं और मौसमी बीमारियों से पीड़ित लोग इलाज के लिए भटक रहे हैं। अस्पताल में रोजाना 80 से 150 मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन डॉक्टर न होने के कारण कंपाउंडर से इलाज कराने को मजबूर हैं।
इलाज के लिए कोटा-बूंदी जाने को मजबूर मरीज
- डॉक्टर न मिलने की वजह से कई मरीज बिना इलाज लौट रहे हैं और कोटा-बूंदी जाकर इलाज करवा रहे हैं।
- अस्पताल में शेड्यूल H1 की दवाइयां बिना डॉक्टर की देखरेख में दी जा रही हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।
- डॉक्टर न होने के कारण पिछले एक साल में सिर्फ 20 डिलीवरी ही हो पाई हैं।
20 दिन से चिकित्सा प्रभारी का पद खाली
सुवासा पंचायत प्रशासक प्रियंका गोस्वामी के अनुसार, अस्पताल में कार्यरत डॉ. वंदना का पीजी में चयन हो जाने के कारण 20 दिन से चिकित्सा प्रभारी का पद रिक्त है। डॉक्टर की गैरमौजूदगी से मरीजों को केशवरायपाटन, तालेड़ा, बूंदी और कोटा जाना पड़ रहा है।
1.5 साल में 6 डॉक्टरों का तबादला
पिछले डेढ़ साल में 6 डॉक्टरों का ट्रांसफर हो चुका है, जिनमें शामिल हैं:
✅ डॉ. पुरुषोत्तम प्रजापति
✅ डॉ. भगवान सिंह
✅ डॉ. हेमंत सोनी
✅ डॉ. याति गोचर
✅ डॉ. इरम फातिमा
✅ डॉ. वंदना मीणा
ग्रामीणों ने कई बार उच्च अधिकारियों से स्थायी डॉक्टर की मांग की है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ।
40 हजार आबादी के लिए सिर्फ एक अस्पताल
सुवासा अस्पताल के अधीन 9 उप स्वास्थ्य केंद्र आते हैं, जिनमें लाडपुर, बाजड, तीरथ, देलूंदा, देहित, सीनता, मेहराणा, गामछ, भवानीपुरा शामिल हैं। इन गांवों की कुल 40,000 की आबादी इलाज के लिए इसी अस्पताल पर निर्भर है, लेकिन डॉक्टर न होने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
29 साल पहले खुला था अस्पताल, अब स्टाफ की भारी कमी
- 1995 में बना यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आज भी स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है।
- अस्पताल में डॉक्टर, आयुष चिकित्सक, कंपाउंडर, वार्ड बॉय, एलएचवी, एनएचएम कर्मचारी के पद खाली हैं।
- फिलहाल, अस्पताल को कंपाउंडर, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन और एएनएम चला रहे हैं।
- डिलीवरी के लिए महिलाओं को तालेड़ा, बूंदी या कोटा जाना पड़ता है।
स्वास्थ्य विभाग का बयान
✅ डॉ. ओपी सामर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बूंदी:
“चिकित्सकों की कमी है, सरकार ने डेपुटेशन पर रोक लगाई है। रिक्त पदों पर भर्ती सरकार द्वारा की जाएगी, फिर भी समाधान किया जाएगा।”
✅ रोहिताश नागर, औषधि नियंत्रण अधिकारी, बूंदी:
“शेड्यूल H1 की दवा केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर ही लिख सकता है। यदि कोई और लिखता है तो यह फार्मेसी एक्ट 1940 और 1945 का उल्लंघन है।”
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि जल्द से जल्द अस्पताल में स्थायी डॉक्टर की नियुक्ति हो, ताकि मरीजों को इलाज के लिए दूर न जाना पड़े।