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कानपुर में जर्मन शेफर्ड का हमला: एक्सपर्ट ने बताया कारण

कानपुर में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जहां एक पालतू जर्मन शेफर्ड कुत्ते ने अपनी ही 91 साल की बुजुर्ग मालकिन पर हमला कर दिया। यह हमला करीब दो घंटे तक चला, जिससे बुजुर्ग महिला की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या कुछ खास नस्लों के कुत्ते पालतू बनाए जाने लायक हैं?

कुत्ता आक्रामक क्यों हुआ?

डॉग एक्सपर्ट वीरेंद्र शर्मा के अनुसार, कुत्तों में बढ़ती बीमारियों की वजह से डॉक्टर उन्हें स्टेरॉइड देते हैं, जिसके साइड इफेक्ट से उनका व्यवहार बदल सकता है। कई बार कुत्तों को चिड़चिड़ापन हो जाता है या उनकी दृष्टि कमजोर हो जाती है, जिससे वे अपने मालिक को भी पहचान नहीं पाते।

कुत्तों के आक्रामक होने के संभावित कारण:

  1. तनाव और उत्तेजना – अगर कुत्ते को सही प्रशिक्षण और व्यायाम न मिले, तो वह आक्रामक हो सकता है।
  2. गलत व्यवहार या मारपीट – यदि कुत्ते के साथ दुर्व्यवहार किया जाए, तो वह हिंसक हो सकता है।
  3. दवाइयों के असर – स्टेरॉइड की वजह से कुत्ते चिड़चिड़े और आक्रामक हो सकते हैं।
  4. अकेलापन और समाज से दूरी – यदि कुत्ते को ज़्यादा समय तक बांधकर रखा जाए और नए लोगों से मिलने न दिया जाए, तो वह असामाजिक हो सकता है।

भारत में पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

  1. लखनऊ (2022): एक पिटबुल कुत्ते ने अपनी 80 वर्षीय मालकिन पर हमला कर उनकी जान ले ली थी।
  2. दिल्ली (2023): एक रॉटवीलर ने 5 साल के बच्चे पर हमला कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया था।
  3. नोएडा (2024): एक डोबर्मन ने अपने देखभाल करने वाले पर हमला कर उसकी गर्दन पर गहरे घाव कर दिए थे।

जर्मन शेफर्ड: वफादार लेकिन जिम्मेदारी जरूरी

जर्मन शेफर्ड नस्ल की शुरुआत 19वीं सदी में जर्मनी में हुई थी। यह नस्ल दूसरे विश्व युद्ध में सैनिकों के साथ काम करती थी और इसके बाद इसे पुलिस और सेना में शामिल किया गया। यह दुनिया की सबसे तेज़ सीखने वाली और वफादार नस्लों में से एक है।

लेकिन ध्यान दें:

  • इसे पालने के लिए अनुशासन और सही प्रशिक्षण ज़रूरी है।
  • सही देखभाल के बिना यह आक्रामक या खतरनाक हो सकता है।
  • इसे पालने से पहले इसके स्वभाव और ज़रूरतों को समझना बहुत जरूरी है।

निष्कर्ष: जर्मन शेफर्ड एक वफादार कुत्ता होता है, लेकिन इसे पालने के लिए पूरी जानकारी और सही प्रशिक्षण जरूरी है।

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