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हाल ही में हुए एक शोध में यह पाया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक ऑटोइम्यून बीमारियों, जैसे रुमेटॉइड आर्थराइटिस (गठिया) और ल्यूपस का जल्दी और सटीक निदान करने में मदद कर सकती है।
गठिया और ल्यूपस दोनों ही ऑटोइम्यून बीमारियां हैं, जिनमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है। इन बीमारियों के लक्षणों और प्रभाव में अंतर होता है।
गठिया (Arthritis): यह जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या है, और इसमें रुमेटॉइड आर्थराइटिस सबसे आम प्रकार है। अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह जोड़ों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
ल्यूपस (Lupus): यह शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करता है जैसे त्वचा, जोड़ों, गुर्दे, और दिल। इसके लक्षणों में थकान, त्वचा पर लाल चकत्ते और जोड़ों में दर्द शामिल होते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इन बीमारियों का प्रारंभिक निदान करने में मदद कर रहा है। हाल ही में पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक नई एआई तकनीक विकसित की है, जो इन बीमारियों की प्रगति का सटीक पूर्वानुमान लगा सकती है।
नई तकनीक जीपीएस (जेनेटिक प्रोग्रेशन स्कोर): यह तकनीक बीमारी के प्रीक्लिनिकल चरण से लेकर पूर्ण रूप से विकसित होने तक का सटीक अनुमान लगा सकती है। जीपीएस तकनीक मौजूदा तरीकों से 25 से 1,000 प्रतिशत अधिक सटीक है। यह नई तकनीक रुमेटॉइड आर्थराइटिस और ल्यूपस जैसी बीमारियों की पहचान में मददगार साबित हो रही है।
एआई का भविष्य: एआई की यह तकनीक विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है, जिनका इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास है या जो शुरुआती लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं। इसके उपयोग से मरीजों के उपचार में सुधार लाया जा सकता है और रोगियों को समय पर सही उपचार मिल सकता है।
यह तकनीक चिकित्सा क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत है और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार ला सकती है।