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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रशासनिक सख्ती की सराहना अब शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ में भी देखने को मिली है। इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने भी फडणवीस के फैसलों की तारीफ की थी और शिंदे सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।
सामना ने फडणवीस के फैसलों को सराहा
- सामना में प्रकाशित लेख के अनुसार, मुख्यमंत्री फडणवीस ने राज्य में प्रशासनिक अनुशासन लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।
- इससे शासन में पारदर्शिता आई है और भ्रष्टाचार पर रोक लगी है।
- बीते तीन वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति में भ्रष्टाचार बढ़ा था, जिसे फडणवीस ने सुधारने की कोशिश की।
संजय राउत ने भी की तारीफ
- संजय राउत ने कहा, “फडणवीस ने खुद कहा कि कुछ मंत्रियों के ओएसडी और पीए भ्रष्टाचार में शामिल हैं, और उन्होंने ऐसे लोगों को ‘फिक्सर’ (दलाल) बताया। अगर मुख्यमंत्री ने इसे रोका है, तो सभी को इसका स्वागत करना चाहिए।”
- उन्होंने शिंदे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि फडणवीस ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सही कदम उठाए हैं।
मुख्यमंत्री ने उठाए कड़े कदम
- फडणवीस ने मंत्रियों को अपने पीए और ओएसडी नियुक्त करने के अधिकार से वंचित कर दिया।
- पहले शिंदे सरकार में कई मंत्री अपने निजी सहायकों की नियुक्ति कर रहे थे, जिनमें से कुछ पर दलाली और भ्रष्टाचार के आरोप थे।
- फडणवीस ने ऐसे 16 नामों को खारिज कर दिया, जिन पर भ्रष्टाचार और फिक्सिंग के आरोप थे।
- इनमें से 12 नाम शिंदे गुट के मंत्रियों द्वारा भेजे गए थे।
मंत्रियों की नाराजगी के बावजूद फडणवीस अड़े रहे
- महाराष्ट्र सरकार में OSD और निजी सहायक (PA) की नियुक्ति को लेकर विवाद चल रहा था।
- मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि मंत्रियों ने कुल 125 नामों की सिफारिश की थी, जिनमें से 109 को मंजूरी दी गई, जबकि 16 नामों पर रोक लगा दी गई।
- कुछ मंत्रियों ने नाराजगी जताई, लेकिन फडणवीस ने साफ कह दिया कि भ्रष्टाचारियों को मंजूरी नहीं दी जाएगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस के इन सख्त फैसलों को प्रशासन में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।