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जयपुर: सरकार जयपुर के आस-पास के ऑक्सीजन जोन को खत्म करने और कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने की तैयारी कर रही है। अगर यह योजना सफल हुई तो नाहरगढ़ ईको सेंसिटिव जोन का नक्शा बदल जाएगा, जिससे वन्यजीवों और शहरवासियों को नुकसान हो सकता है।
सीमा बदलने की वजह क्या है?
- सरकार होटल और रिसॉर्ट्स को बचाने के लिए अभयारण्य की सीमाओं में बदलाव करना चाहती है।
- वन विभाग ने सीमा संशोधन के लिए सर्वे शुरू कर दिया है।
- हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वन विभाग को सीमा बदलने का अधिकार नहीं है, यह केवल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय कर सकता है।
कैसे बदला जाएगा नक्शा?
- 2023 में एक बैठक में अभयारण्य का नक्शा 1980 की अधिसूचना के आधार पर दोबारा तैयार करने का फैसला हुआ।
- वन विभाग का कहना है कि पुराने नक्शों की असमानता की वजह से कई केस कोर्ट में लंबित हैं।
- 12,000 हेक्टेयर भूमि के नक्शे में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की गई है।
क्या होटल इंडस्ट्री को होगा फायदा?
- पर्यावरणविदों का दावा है कि सरकार होटल इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाने के लिए बदलाव कर रही है।
- डीएफओ विजयपाल सिंह का कहना है कि यह बदलाव न्यायालय में चल रहे मामलों को सुलझाने के लिए किया जा रहा है।
क्या पारदर्शिता बनी रहेगी?
- अधिकारियों का दावा है कि सर्वे पारदर्शिता से किया जाएगा और गजट नोटिफिकेशन के अनुसार आगे की प्रक्रिया होगी।
- हालांकि, विशेषज्ञों को शक है कि इस बदलाव से होटल लॉबी को सीधा फायदा मिल सकता है।
निष्कर्ष
अगर नाहरगढ़ वन अभयारण्य की सीमाएं बदलती हैं तो इसका प्राकृतिक पर्यावरण और वन्यजीवों पर गंभीर असर पड़ सकता है। सवाल यह है कि क्या यह बदलाव पर्यावरण के हित में होगा या कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है?