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मध्यप्रदेश में सरकारी कामकाज के लिए रिश्वतखोरी का एक और मामला सामने आया है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी अधिकारी और कर्मचारी हजारों रुपए की रिश्वत मांग रहे हैं। मंदसौर जिले में लोकायुक्त की टीम ने एक पटवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। इस कार्रवाई से जिले के प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
क्या है मामला?
मंदसौर जिले के इसाकपुर तहसील में पटवारी जगदीश पाटीदार ने पारिवारिक बंटवारे का काम करने के लिए 25 हजार रुपए रिश्वत मांगी थी। आवेदक धर्मेंद्र मालवीय ने लोकायुक्त को इसकी शिकायत की। सत्यापन के बाद लोकायुक्त की टीम ने पटवारी को रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 10 हजार रुपए लेते हुए पकड़ा।
कार्रवाई कैसे हुई?
- लोकायुक्त की 10 सदस्यीय टीम ने यह कार्रवाई 19 नवंबर को अंजाम दी।
- टीम में डीएसपी राजेश पाठक, उप पुलिस अधीक्षक सुनील तालान, और अन्य अधिकारी शामिल थे।
- पटवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
शिकायत की सच्चाई
आवेदक धर्मेंद्र मालवीय के अनुसार, पटवारी ने काम के बदले रिश्वत की मांग तहसीलदार के नाम पर की थी। लोकायुक्त ने शिकायत का सत्यापन किया, जो सही निकली। इसके बाद पटवारी को रंगे हाथों पकड़ लिया गया।
प्रशासनिक हड़कंप
इस घटना के बाद जिले में अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच हड़कंप मच गया है। लोकायुक्त की इस सख्त कार्रवाई ने रिश्वतखोर कर्मचारियों को एक कड़ा संदेश दिया है।
मध्यप्रदेश में इस तरह की घटनाएं सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करती हैं और यह भ्रष्टाचार खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।