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छत्तीसगढ़ के रायपुर में सरकारी और निजी डेंटल कॉलेजों में बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) के लिए छात्रों की कमी हो रही है। चौथे राउंड की काउंसलिंग के बाद भी 600 में से 270 से अधिक सीटें खाली रह गईं। इस वजह से दूसरी बार नीट क्वालीफाइड छात्रों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और च्वाइस फिलिंग का मौका दिया गया।
पंजीकरण और च्वाइस फिलिंग का काम पूरा
दूसरी बार पंजीकरण और च्वाइस फिलिंग 23 से 25 नवंबर तक हुई। सोमवार को इसका समय खत्म हो गया। आवंटन सूची 27 नवंबर को आएगी और 28 नवंबर से 2 दिसंबर तक छात्रों को अपने कॉलेजों में प्रवेश लेना होगा।
छात्रों की रुचि एमबीबीएस में ज्यादा
पिछले राउंड के रजिस्ट्रेशन में केवल 4 नए छात्रों ने पंजीकरण कराया, लेकिन उन्होंने बीडीएस के बजाय एमबीबीएस चुना। इस कारण उनके पंजीकरण रद्द कर दिए गए। बीडीएस की 285 सीटें अब भी खाली हैं, जिनमें सरकारी डेंटल कॉलेज की 24 सीटें भी शामिल हैं।
बीडीएस की घटती लोकप्रियता
पिछले 7 सालों से बीडीएस कोर्स में छात्रों की रुचि कम हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीडीएस के बाद डेंटिस्ट को एमडीएस करना पड़ता है, तभी वह विशेषज्ञ बन पाता है। सरकारी अस्पतालों में एक-एक डेंटिस्ट की ही पोस्टिंग होती है और कई जगहों पर डेंटल चेयर की भी कमी है। इस वजह से मरीज निजी क्लीनिक में इलाज करवाना पसंद करते हैं।
पिछले साल भी सीटें खाली रहीं
पिछले साल भी खाली सीटों को भरने के लिए विशेष काउंसलिंग करवाई गई थी, लेकिन फिर भी 40% सीटें खाली रह गईं।
डेंटल कॉलेजों की संख्या सीमित
पिछले 24 सालों में छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 1 से बढ़कर 10 हो गई है, लेकिन सिर्फ 1 सरकारी डेंटल कॉलेज खुला। निजी कॉलेज मिलाकर कुल 6 डेंटल कॉलेज हैं। अगले साल रायपुर में एक नया निजी डेंटल कॉलेज खुलने जा रहा है। कॉलेज संचालकों को उम्मीद है कि राजधानी में होने के कारण उनकी सीटें भर जाएंगी।
निष्कर्ष
बीडीएस कोर्स में छात्रों की कमी और डेंटल कॉलेजों की सीमित संख्या के चलते सीटें खाली रहना एक बड़ी समस्या बन गई है। डेंटल क्षेत्र में सुधार और छात्रों को आकर्षित करने के लिए नए कदम उठाने की जरूरत है।