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क्या है मामला?
हर्षिता का चयन 14 आयु वर्ग की राज्य स्तरीय हॉकी प्रतियोगिता के आधार पर नागौर के मिरजास में आयोजित राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता के लिए हुआ था। उसे 29 नवंबर को रिपोर्टिंग करनी थी।
लेकिन आरोप है कि प्रतियोगिता से संबंधित जानकारी 26 नवंबर को जारी होने के बावजूद स्कूल के प्रधानाचार्य और कोच ने छात्रा को समय पर यह सूचना नहीं दी। हर्षिता को जब अन्य छात्रों से इसकी जानकारी मिली, तो उसने 28 नवंबर को प्रधानाचार्य से संपर्क किया। प्रधानाचार्य ने उसे जन्म प्रमाण पत्र बनवाने को कहा।
देर से मिली जानकारी और समस्याएं
जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के बाद, 30 नवंबर को जब हर्षिता स्कूल पहुंची, तो प्रधानाचार्य ने उसे चिकित्सा प्रमाण पत्र लाने के लिए कहा। सभी प्रमाण पत्र तैयार करने के बाद, हर्षिता अपने जीजा नरेशपाल के साथ निजी वाहन से प्रतियोगिता स्थल पहुंची, लेकिन वहां उसे शिविर में प्रवेश नहीं दिया गया।
आरोप
हर्षिता के चाचा देवीसिंह शेखावत ने आरोप लगाया कि प्रधानाचार्य और कोच ने अपने परिचित को टीम में शामिल करने के लिए हर्षिता को जानबूझकर प्रतियोगिता में भेजने में देरी की। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए छात्रा को प्रतियोगिता में शामिल करवाने की अपील की है।
प्रधानाचार्य का पक्ष
प्रधानाचार्य सुशीला बगड़िया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा,
“भाई-भतीजावाद का आरोप गलत है। स्कूल की एक और छात्रा पहले से ही हरियाणा में राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल रही है। अगर हर्षिता जाती, तो यह स्कूल के लिए गर्व की बात होती। हर्षिता को कई बार फोन किया गया, लेकिन वह स्कूल नहीं आई। मामले की जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी।”
शिक्षा अधिकारी का बयान
सीमा चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी (खेल), सीकर ने कहा,
“इस मामले में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है। यदि ऐसा मामला है, तो जांच करवाई जाएगी।”
निष्कर्ष
मामला गंभीर है और छात्रा के साथ हुए भेदभाव की जांच की जरूरत है। निष्पक्ष जांच से ही सच्चाई सामने आ सकेगी और छात्रा को न्याय मिलेगा।