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भीलवाड़ा (राजस्थान): राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ क्षेत्र की सिंगोली ग्राम पंचायत का कालीखोल गांव अपनी अनोखी दिनचर्या के लिए जाना जाता है। पहाड़ों से घिरे इस गांव में शीत ऋतु के दौरान सूरज सुबह 9 बजे दिखता है और शाम 4 बजे अस्त हो जाता है। गर्मी के दिनों में भी सूरज सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक ही दिखता है।
कालीखोल गांव का परिचय:
कालीखोल, जिसे पहले कालीखोह के नाम से जाना जाता था, चारों ओर ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। सिंगोली चारभुजा मंदिर से दक्षिण दिशा में सड़क मार्ग से लगभग 7-8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है।
गांव में जीवन की कठिनाइयां:
- मोबाइल नेटवर्क: पहाड़ियों के बीच होने के कारण गांव में मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता। बीएसएनएल ने एक साल पहले टावर लगाया था, लेकिन अभी तक सेवा शुरू नहीं हो पाई। ग्रामीणों को फोन पर बात करने के लिए पहाड़ियों या पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है।
- पेयजल समस्या: गांव में पानी की भी किल्लत है, जिससे लोग परेशान रहते हैं।
- यातायात साधन: पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां यातायात के साधन भी सीमित हैं।
गांव की अनोखी दिनचर्या:
सूरज देर से उगने के कारण यहां के लोग सुबह 8-9 बजे के बाद अपने काम के लिए निकलते हैं। पशुओं को चराने और खेतों में काम की शुरुआत भी इसी समय होती है। शाम को सूरज जल्दी ढलने के कारण ग्रामीण 4 बजे तक घर लौट आते हैं।
गांव के विकास की चुनौतियां:
- दिनचर्या के लिए उपलब्ध समय केवल 7-8 घंटे ही होता है।
- पहाड़ी इलाका होने के कारण गांव विकास की गति में पीछे रह गया है।
- आर्थिक रूप से भी यह गांव समृद्ध नहीं है।
ग्रामीणों की राय:
- राकेश कुमार आर्य, ग्रामीण: “कालीखोल पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां का जीवन कठिन है। सूरज देर से निकलने और जल्दी अस्त होने के कारण दिनचर्या पर असर पड़ता है।”
- प्रदीप कुमार सिंह, पूर्व विधायक मांडलगढ़: “गांव में कामकाज के लिए समय कम मिलता है। यातायात और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण गांव आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हो पाया है।”
निष्कर्ष:
कालीखोल गांव अपनी भौगोलिक विशेषता और प्राकृतिक सुंदरता के कारण अनोखा है, लेकिन जीवन यहां कठिन है। विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों का जीवन सुगम बन सके।