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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अब 20 साल बाद रेगुलर पीएचडी की डिग्री शुरू होगी। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘औषध मानकम’ के उद्घाटन समारोह में यह घोषणा की।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वे राजभवन और राज्य सरकार को स्टाइपेंड आधारित पीएचडी का प्रस्ताव बनाकर भेजें। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने नई पीएचडी सीटें देने और 50 लाख रुपए फंड की व्यवस्था करने का भरोसा दिया।
प्रत्येक विभाग में होगी पीएचडी सीटें
आयुर्वेद विवि में 14 विभाग हैं। उम्मीद है कि हर विभाग में दो-दो पीएचडी सीटें दी जाएंगी। फिलहाल, जयपुर और जामनगर जैसे राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थानों में रेगुलर पीएचडी की सुविधा है, लेकिन राजस्थान के इस पहले आयुर्वेद विवि में अभी तक यह शुरू नहीं हो पाई थी।
एमडी के बाद पीएचडी
आयुर्वेद विवि में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा में स्नातक और स्नातकोत्तर (एमडी) डिग्री दी जाती है। अब एमडी के बाद तीन साल की पीएचडी की पढ़ाई होगी। इसमें छात्रों को 90,000 से 1,00,000 रुपए तक का स्टाइपेंड मिलेगा।
आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर जोर
राज्यपाल बागड़े ने कहा कि आयुर्वेद भारत की प्राचीन धरोहर है, जिसे आधुनिक विज्ञान के मानकों पर खरा उतरने की जरूरत है। औषध मानकीकरण के बिना इसका व्यापक प्रचार-प्रसार संभव नहीं। उन्होंने कहा कि हर गांव और शहर में औषधि निर्माण के लिए बेहतरीन कच्चा माल मिलता है, जिसकी पहचान और उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि विवि परिसर में औषधीय पौधों का रोपण बढ़ाया जाए ताकि छात्र इनका अध्ययन कर आयुर्वेदिक चिकित्सा में उनका सही इस्तेमाल समझ सकें।