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सड़क किनारे और सोशल मीडिया पर मिल रहे सस्ते प्लॉट
शहर में सस्ते प्लॉट्स के विज्ञापन हर जगह नजर आ रहे हैं। सड़क, डिवाइडर, बिजली के पोल, दीवारों और सोशल मीडिया पर सस्ते प्लॉट्स और मकानों के लुभावने विज्ञापन देखकर लोग उनके झांसे में आ रहे हैं। इन प्लॉट्स की आसान किस्तों की बात भी की जाती है, जिससे लोग अपने आशियाने का सपना पूरा करने के लिए बिना सोचे समझे बिल्डरों और कॉलोनाइजरों के जाल में फंस जा रहे हैं।
अवैध कॉलोनियों में हो रहा कारोबार
अवैध कॉलोनियों का कारोबार तेजी से फैल रहा है। ये कॉलोनियां नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की स्वीकृति के बिना बनाई जा रही हैं। बिल्डर और कॉलोनाइजर खेतों के टुकड़े को प्लॉट के नाम पर बेच रहे हैं। बाद में लोग जान पाते हैं कि जो कॉलोनी उन्होंने खरीदी है, वह अवैध है और वहां न तो सड़क है, न बिजली, पानी और सीवर जैसी बुनियादी सुविधाएं। शहर के गोहलपुर, अधारताल, महराजपुर, रांझी जैसे इलाकों में ऐसी कॉलोनियां बन चुकी हैं, जहां लोग अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
सड़क पर बैठकर ग्राहकों से डेटा लिया जा रहा
पाटन बायपास और तिलहरी मार्ग पर जमीन बेचने के लिए एजेंट सड़क किनारे बैठकर लोगों से उनका डेटा नोट कर रहे हैं। ये लोग राहगीरों को रोककर उन्हें अपनी साइट पर बुलाते हैं और उन्हें सस्ते प्लॉट का लालच देते हैं।
सस्ते प्लॉट्स के लिए बोर्ड और विज्ञापन
सड़कों, पेड़ों, दीवारों और स्कूलों के पास “सस्ते प्लॉट्स” के बोर्ड लगाए जा रहे हैं, जिससे लोग इनकी ओर आकर्षित होते हैं। इन प्लॉट्स के बारे में लुभावने विज्ञापन सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम पर भी चलाए जा रहे हैं, जो लोगों को अपनी ओर खींचते हैं।
फोन कॉल से भी लुभाया जा रहा है
कॉल कर लोगों को बताया जा रहा है कि सस्ते प्लॉट्स बस स्टैंड से कुछ किलोमीटर दूर हैं, जहां अस्पताल, स्कूल और कॉलेज तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस तरह के विज्ञापनों में लोगों को झांसा देकर प्लॉट और आवास खरीदवाए जा रहे हैं, लेकिन बाद में जब सुविधाएं नहीं मिलतीं तो लोग नगर निगम में शिकायत करने पहुंचते हैं और उन्हें पता चलता है कि कॉलोनी अवैध है।
सख्त कार्रवाई हो रही है
अवैध कॉलोनियों और बिल्डरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। बड़ी संख्या में बिल्डरों और कॉलोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।
- प्रीति यादव, आयुक्त, नगर निगम