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सेवा रिकॉर्ड के आधार पर फैसला
बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी कर्मचारी का प्रदर्शन मापदंडों के अनुसार संतोषजनक नहीं है, और उसने 20 साल की सेवा पूरी कर ली है या 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है, तो उसे समय से पहले सेवानिवृत्त करना उचित है। इसके लिए कर्मचारी के सेवा रिकॉर्ड, चरित्र पंजिका और गोपनीय रिपोर्ट पर विचार करना अनिवार्य है।
50 वर्ष की उम्र में अनिवार्य सेवानिवृत्ति
प्रकरण के अनुसार, रायपुर के नागेन्द्र बहादुर सिंह को ड्राइवर के पद पर 1993 में नियुक्त किया गया था। उनकी सेवा 2010 में स्थाई कर दी गई। 2012 में उनके पद का नामकरण भारी वाहन ड्राइवर के रूप में किया गया। नवंबर 2017 में, 50 वर्ष की उम्र पूरी होने पर, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई।
कर्मचारी की याचिका और कोर्ट का फैसला
नागेन्द्र बहादुर ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने दलील दी कि उनका आचरण अच्छा रहा है और उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी। कोर्ट ने उनकी सेवा रिकॉर्ड की जांच की और पाया कि उनका प्रदर्शन औसत या औसत से नीचे था।
कोर्ट का तर्क
हाईकोर्ट ने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति कोई सजा नहीं है और इससे कर्मचारी की प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आती। यह फैसला सेवा रिकॉर्ड और प्रदर्शन के आधार पर लिया गया। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत लागू नहीं होते।
यह फैसला साफ करता है कि राज्य उचित जांच के बाद समय से पहले सेवानिवृत्ति का निर्णय ले सकता है।