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स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने क्या कहा?
अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि चंद्रशेखर ने कम से कम यह तो स्वीकार किया कि गंगा में डुबकी लगाने से पाप धुलते हैं। लेकिन उनके जैसे लोग अपने कुकर्मों को पाप मानने को तैयार नहीं होते। हिंदू धर्म पर अपशब्द बोलने वालों के सवालों का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग खुशियों से दूर हैं, वे दूसरों की खुशियां देखकर जलते हैं।
जगद्गुरु शंकराचार्य ने क्या कहा?
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने चंद्रशेखर के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “क्या उनका मतलब है कि कुंभ मेले में केवल पापी ही आते हैं? क्या वे खुद कभी कुंभ में आए हैं? हम यहां अपने विश्वास और खुशी के लिए आते हैं। किसी को इससे समस्या नहीं होनी चाहिए।”
चंद्रशेखर ने क्या कहा?
नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कुंभ मेले पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब हम सरकार से रोजगार, मकान, रोटी और बुनियादी सुविधाओं पर सवाल करते हैं, तो उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं होता। लेकिन कुंभ मेले की बात आते ही छह महीने में रेत पर पूरा शहर बसा दिया जाता है।”
उन्होंने कहा, “अगर किसी ने पाप किए हैं, तो कुंभ में जाकर उन्हें धो सकते हैं। लेकिन क्या कोई यह स्वीकार करता है कि उसने पाप किया है? हमारा उद्देश्य है कि इस देश में जाति, धर्म और संप्रदाय के नाम पर अपमानित लोगों के लिए रोटी और कपड़े की लड़ाई लड़ी जाए।”
विवाद क्यों बढ़ा?
चंद्रशेखर के इस बयान ने कुंभ मेले की धार्मिक परंपराओं और हिंदू आस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे संत समाज और धर्माचार्य नाराज हो गए हैं। उनके इस बयान पर विवाद गहराता जा रहा है।