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प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2025 में कर्नाटक पहले और राजस्थान दूसरे स्थान पर है। यह योजना 17 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी। इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना और उनके कौशल को निखारना है।
अब तक कितने लोग हुए लाभान्वित?
✅ योजना के तहत देशभर से 20 लाख 48 हजार 389 आवेदन प्राप्त हुए।
✅ इनमें से 14 लाख 53 हजार 993 का सत्यापन पूरा हो चुका है।
✅ राजस्थान में 3,31,567 व्यक्तियों का जिला स्तर पर सत्यापन जारी है।
✅ अब तक 21,958 लोगों को ऋण वितरित किया गया है।
✅ 27,512 लोगों को ऋण स्वीकृत हो चुका है।
✅ 1,32,869 लाभार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
किन लोगों को मिलेगा फायदा?
इस योजना में कुल 18 पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है, जैसे:
🔹 बढ़ई (लकड़ी का काम करने वाले)
🔹 दर्जी (कपड़े सिलने वाले)
🔹 लोहार
🔹 सुनार (सोने-चांदी के आभूषण बनाने वाले)
🔹 कुम्हार (मिट्टी के बर्तन बनाने वाले)
🔹 राज मिस्त्री
🔹 खिलौना निर्माता
🔹 मोची (जूते-चप्पल बनाने और सुधारने वाले)
🔹 मूर्तिकार
🔹 टोकरी, चटाई और झाड़ू बनाने वाले
योजना के लाभ
✅ प्रशिक्षण के दौरान हर दिन ₹500 मिलते हैं।
✅ टूल किट खरीदने के लिए ₹15,000 बैंक के माध्यम से मिलते हैं।
✅ 5% ब्याज पर ₹3 लाख तक का ऋण उपलब्ध है, जो दो चरणों में दिया जाता है।
✅ निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे कारीगर अपने काम को और बेहतर बना सकें।
योजना से बढ़ेगा रोजगार
प्रदेश समन्वयक प्रभु लाल सैनी के अनुसार, इस योजना से ग्रामीण कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त किया जाएगा। वे अपने हाथ से बने उत्पादों को बेहतर तरीके से बना और बेच सकेंगे, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना कारीगरों और शिल्पकारों के लिए आत्मनिर्भर बनने का एक सुनहरा अवसर है। राजस्थान में यह योजना तेजी से आगे बढ़ रही है और हजारों लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।