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दिल्ली चुनाव में मोदी की गारंटी से भाजपा की बड़ी जीत, केजरीवाल की रणनीति हुई फेल

– महिलाओं और मध्यम वर्ग को साधकर भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता का सूखा खत्म किया।
– आम आदमी पार्टी की पुरानी योजनाओं और घोटालों से बिगड़ी छवि, जनता ने नहीं जताया भरोसा।

मोदी की गारंटी बनी भाजपा की जीत की वजह

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज कर ली, जिससे 27 साल का सत्ता का सूखा खत्म हो गया। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने जनता को डराने की कोशिश की कि अगर हम हारे तो मुफ्त बिजली-पानी की सुविधा बंद हो जाएगी। लेकिन भाजपा ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा कि सभी फ्री योजनाएं जारी रहेंगी

केजरीवाल ने महिलाओं को ₹2100 देने का वादा किया, तो भाजपा ने ₹2500 देने की घोषणा कर दी। भाजपा ने जनता को भरोसा दिलाया कि उनकी सब्सिडी जारी रहेगी, साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बड़े बदलाव होंगे। पार्टी ने दिल्ली के अंदर और बाहर ₹1 लाख करोड़ से अधिक के विकास प्रोजेक्ट गिनाए। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के पास कोई नया वादा या योजना नहीं थी

महिलाओं और मध्यम वर्ग ने दिया भाजपा को समर्थन

भाजपा की इस जीत में महिला, मध्यम वर्ग और मोदी की गारंटी ने अहम भूमिका निभाई। चुनाव से पहले भाजपा ने 8वें वेतन आयोग की घोषणा की, और 1 फरवरी के बजट में 12 लाख सालाना कमाने वालों को आयकर छूट देने का ऐलान किया। इसका फायदा भाजपा को मिला और मध्यम वर्ग का झुकाव भाजपा की तरफ हो गया। पहले ये वर्ग लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट देता था, लेकिन विधानसभा में आप को वोट देता था। इस बार भाजपा का वोट प्रतिशत 39% से बढ़कर 45% से अधिक हो गया

डबल एंटी इनकम्बेंसी से नहीं उबर पाई आप

आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में डबल एंटी इनकम्बेंसी का सामना करना पड़ा।

  1. 10 साल की सत्ता से जनता की नाराजगी
  2. MCD चुनाव जीतने के बाद कूड़ा, सफाई, सीवर और कॉलोनियों की समस्याओं से नई नाराजगी

पहले जब एमसीडी में भाजपा थी, तो उसे इसका नुकसान विधानसभा चुनाव में होता था। लेकिन अब जब एमसीडी आप के पास आई, तो जनता की नाराजगी केजरीवाल सरकार पर गई

शराब घोटाले और शीशमहल विवाद से बिगड़ी केजरीवाल की छवि

अरविंद केजरीवाल ने पहले गरीब और मध्यम वर्ग के मसीहा की छवि बनाई थी, जिससे उन्होंने पिछले दो चुनावों में 60 से ज्यादा सीटें जीती थीं। लेकिन जब शराब घोटाले में जेल गए और शीशमहल कांड में फंसे, तो जनता का भरोसा टूट गया।

इस चुनाव में जनता ने दिखा दिया कि सिर्फ मुफ्त योजनाओं का लॉलीपॉप नहीं, बल्कि ईमानदार और भरोसेमंद नेतृत्व चाहिए। जनता की धारणा (Public Perception) के दम पर तीन बार मुख्यमंत्री बनने वाले केजरीवाल, इस बार अपनी छवि नहीं बचा पाए।

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