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राजधानी में 80 हजार से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर्स हैं, लेकिन उन्हें हर वक्त कार्रवाई का डर बना रहता है। नगर निगम का दस्ता आता है और ठेलों को जब्त कर ले जाता है। जबकि ये वेंडर्स शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और लोगों को सस्ता और आसान खान-पान मुहैया कराते हैं। इसके बावजूद सरकार इन्हें व्यवस्थित करने की बजाय उजाड़ने में लगी है।
क्या हो रहा है?
- नगर निगम ने वेंडिंग जोन बनाए लेकिन उनमें जरूरी सुविधाएं नहीं दी।
- सुविधाएं न मिलने के कारण वेंडर्स सड़कों पर आ जाते हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और फिर निगम कार्रवाई करता है।
- नगर निगम के साथ जेडीए भी ठेले वालों पर कार्रवाई कर रहा है।
कैसे होगी बेहतर व्यवस्था?
- वेंडिंग जोन को विकसित किया जाए, जहां वेंडर्स को व्यापार करने की सुविधाएं मिलें।
- बजाज नगर और रिद्धि-सिद्धि चौराहे की तरह अन्य जगहों पर भी व्यवस्थित वेंडिंग जोन बनाए जाएं।
- वैशाली नगर, सहकार मार्ग, राजापार्क और परकोटा बाजारों में फैले ठेले व्यवस्थित किए जाएं ताकि लोगों को परेशानी न हो।
वेंडर्स की प्रमुख समस्याएं
- न्यायालय और सरकार के निर्देशों की अनदेखी हो रही है। वेंडिंग जोन ठीक से बनाए जाएं।
- वीआईपी मूवमेंट के नाम पर ठेले जब्त किए जा रहे हैं, इसे रोका जाए।
- निगम गलत तरीके से वेंडर्स का सर्वे कर रहा है। सर्वे में टाउन वेंडिंग कमेटी को शामिल किया जाए।
- टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक नियमित रूप से हो, ताकि वेंडर्स की समस्याओं का हल निकले।
कुछ अहम आंकड़े
- 2017 में 85 वेंडिंग जोन घोषित किए गए थे।
- अब तक 22 हजार वेंडर्स का सर्वे हो चुका है।
- 33 हजार वेंडर्स पीएम स्वनिधि योजना के तहत लोन ले चुके हैं।
- 10 से 50 हजार रुपए तक का लोन सरकार वेंडर्स को रोजगार के लिए दे रही है।
वेंडर्स की अपील
हैरिटेज थड़ी ठेला यूनियन के अध्यक्ष बनवारीलाल शर्मा का कहना है कि सरकार एक तरफ वेंडर्स को लोन दे रही है और दूसरी तरफ उनका रोजगार उजाड़ रही है। राज्य सरकार को वेंडिंग जोन विकसित करने चाहिए, ताकि वेंडर्स बिना डर के काम कर सकें।