आईआईटी भिलाई अब छत्तीसगढ़ की प्राचीन धरोहरों को सहेजने और पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसके तहत कवर्धा जिले के भोरमदेव मंदिर और बस्तर जिले के बारसूर पर रिसर्च शुरू की गई है। इस काम के लिए छत्तीसगढ़ योजना आयोग ने आईआईटी भिलाई के लिबरल आर्ट विभाग को जिम्मेदारी दी है।
आईआईटी भिलाई टीम ने बारसूर के 6 मंदिरों पर शोध किया है और रिपोर्ट तैयार की है, जिसे जल्द ही योजना आयोग को सौंपा जाएगा। इस रिसर्च का उद्देश्य यह समझना है कि इन स्थानों को कैसे पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है और इनसे स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अवसर कैसे बढ़ाए जा सकते हैं।
आईआईटी भिलाई ने बारसूर के सांस्कृतिक महत्व और विरासत को समझने के लिए मंदिरों का सर्वे किया है। इसके तहत इन मंदिरों की आयु के हिसाब से सहेजने के लिए जरूरी सुझाव दिए गए हैं। इस परियोजना के तहत आईआईटी भिलाई राज्य सरकार को धरोहर संरक्षण में मदद करेगा। यह प्रोजेक्ट प्रसिद्ध संरक्षणवादी शिवी जोशी की अध्यक्षता में धरोहर संरक्षण समिति के सहयोग से शुरू किया गया है।