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कुंडलपुर में आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रथम समाधि दिवस पर सर्वधर्म सभा आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने आचार्यश्री को श्रद्धांजलि दी और उनके विचारों पर चर्चा की। सभा के दौरान सर्वधर्म समाज ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि इस दिन को ‘विद्यानवमी’ या ‘विद्यासमाधि दिवस’ के रूप में मनाया जाए और इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए।
धर्मगुरुओं ने आचार्यश्री को दी श्रद्धांजलि
सिख धर्म से राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सरदार जसवीर सिंह ने कहा कि आचार्यश्री का जीवन और संदेश हमेशा प्रासंगिक रहेगा। गायत्री शक्तिपीठ भोपाल के समन्वयक पं. रघुनाथ हजारी ने उन्हें महान तपस्वी और गोवंश के संरक्षक के रूप में याद किया। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री के कार्यों पर नोबेल पुरस्कार दिए जा सकते हैं, जैसे हथकरघा, पाषाण मंदिर और पूर्णायु परियोजना।
बाल व्यास पं. ऋषिकांत गर्ग ने बताया कि आचार्यश्री की प्रेरणा ने उनके जीवन को सही दिशा दी। ब्रह्मकुमारी आरती ने कहा कि आचार्यश्री भारतीय संस्कृति की आत्मा और समरसता के प्रतीक थे।
राष्ट्रीय अवकाश की मांग
अजमेर से प्रकाश पाटनी ने प्रस्ताव रखा कि हर साल 18 फरवरी को आचार्यश्री का समाधि दिवस मनाया जाए। सभा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, जिन्होंने आचार्यश्री के विचारों को अपनाने और उनके संदेश को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।