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जोधपुर के एम्स अस्पताल में डॉक्टरों ने गंभीर रूप से बीमार 6 साल की बच्ची की जान बचाने में बड़ी सफलता हासिल की। बच्ची इन्फ्लूएंजा बी वायरस से पीड़ित थी, जिससे उसे एआरडीएस (अक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) हो गया था। हालत इतनी नाजुक थी कि उसे 1 महीने तक ICU में और 13 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया।
कैसे हुआ इलाज?
एम्स जोधपुर में पहली बार बच्ची का इलाज पेडियाट्रिक ईसीएमओ (एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) तकनीक से किया गया। इस प्रक्रिया में शरीर से खून निकालकर उसमें ऑक्सीजन मिलाई जाती है, ताकि फेफड़ों पर दबाव कम हो और वे जल्दी ठीक हो सकें।
इलाज की पूरी प्रक्रिया
🔹 बच्ची की हालत बहुत नाजुक थी और ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम था।
🔹 20 जनवरी को उसे एम्स लाया गया और तुरंत ICU में भर्ती किया गया।
🔹 डॉक्टरों ने ईसीएमओ तकनीक से उसका इलाज शुरू किया।
🔹 6 दिन की लगातार निगरानी के बाद हालत सुधरने लगी।
🔹 13 दिन बाद बच्ची को वेंटिलेटर से हटा दिया गया।
🔹 1 महीने बाद स्वस्थ होकर बच्ची घर लौट गई।
डॉक्टरों की टीम जिन्होंने जान बचाई
इस जटिल इलाज में एम्स जोधपुर के कई विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने मिलकर काम किया।
👨⚕️ डॉ. डेजी खेरा (पीआईसीयू प्रमुख)
👨⚕️ डॉ. आलोक शर्मा (सीटीवीएस विभाग प्रमुख)
👨⚕️ डॉ. सुरेंद्र पटेल
👨⚕️ डॉ. मधुसूदन कत्ति
👨⚕️ डॉ. अनुरुद्ध माथुर
👨⚕️ डॉ. कमलेश पंवार (परफ्यूजनिस्ट)
👨⚕️ डॉ. प्रदीप भाटिया
👨⚕️ डॉ. सदिक मोहम्मद
👨⚕️ डॉ. नितिन
👨⚕️ डॉ. दिव्या
👨⚕️ डॉ. ऐश्वर्या
डॉक्टरों की मेहनत और नई तकनीक के इस्तेमाल से बच्ची को नया जीवन मिला, जिससे एम्स जोधपुर ने एक बड़ी चिकित्सा सफलता हासिल की।