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घोरक्षत्र नदी पर बने पुल की हालत खराब
एनएच-43 का निर्माण कार्य पहले से ही धीमी गति से चल रहा है। इसी बीच घोरक्षत्र नदी पर बने पुल का एक्सपेंशन ज्वाइंट एक साल के अंदर ही खराब हो गया है।
लोगों का कहना है कि निर्माण एजेंसी ने शुरू में इस खराबी को छिपाने के लिए पुल पर डामर का लेप लगाया था, लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाया। अब कंक्रीट टूटने से स्टील की छड़ें बाहर आ गई हैं, जिससे लोगों को आवाजाही में दिक्कत हो रही है। कई महीने बीत जाने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं किया गया है।
पुल में लापरवाही से बढ़ रहा खतरा
एमपीआरडीसी उमरिया से शहडोल रूट को द्वितीय फेज में बना रही है। पिछले साल ही घोरक्षत्र नदी पर यह पुल तैयार हुआ था और कुछ ही महीनों में इसमें खराबी आना चिंता का विषय है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, तकनीकी खराबी के कारण बारिश का पानी स्टील तक पहुंच गया, जिससे सरिया कमजोर होकर टूटने लगा है। भारी वाहनों की आवाजाही से यह समस्या और बढ़ सकती है।
समस्या को ठीक करने के लिए कटिंग कर नीचे प्लेट लगानी होगी और फिलिंग करनी पड़ेगी, जिससे हाईवे पर यातायात प्रभावित हो सकता है।
असमतल ढलाई से हादसों का खतरा
नौरोजाबाद से पाली तक बने बाइपास मार्ग पर जोहिला और घोरक्षत्र नदी पर बने पुलों में ऊंचाई का संतुलन सही नहीं है। दूर से यह ऊंचाई दिखाई नहीं देती, जिससे वाहन चालक भ्रमित हो जाते हैं और तेज रफ्तार वाहन अनियंत्रित हो जाते हैं।
दूसरे फेज में हाइवे, पुल और ओवरब्रिज का काम दिया गया था, लेकिन अभी भी कई जगहों पर निर्माण अधूरा पड़ा है। पाली से घुनघुटी होते हुए शहडोल जाने वाले मार्ग पर कई जगह काम अधूरा है।
धूल उड़ने से भी हो रही परेशानी
पाली जीरोढाबा बाइपास, पठारी रेलवे फाटक और घुनघुटी के बीच पुल निर्माण क्षेत्र में मिट्टी उड़ने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जैसे ही वाहन गुजरते हैं, भारी मात्रा में धूल उड़ती है, जिससे लोगों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है।
अगर जल्द ही इन समस्याओं को नहीं सुधारा गया तो बड़े हादसे होने की संभावना है।