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नई शिक्षा नीति (NEP-2020) लागू होने के बाद विद्यार्थियों को ज्यादा फीस भरनी पड़ रही है। पहले जहां साल में एक बार फीस जमा करनी होती थी, अब हर छह महीने में फीस देनी पड़ रही है।
एक विषय में फेल होने पर भी पूरी फीस देनी होगी
- अगर किसी विद्यार्थी का एक भी विषय ड्यू रह जाता है, तो उसे पूरे सेमेस्टर की फीस चुकानी होगी।
- जिन कॉलेजों में साल में एक बार परीक्षा होती है, वहां भी विद्यार्थियों को पूरी फीस भरनी पड़ेगी।
- इससे गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं पर अतिरिक्त भार बढ़ रहा है।
विद्यार्थियों की संख्या घटी
- मत्स्य विश्वविद्यालय में हर साल 35,000 से ज्यादा छात्र-छात्राएं प्रवेश लेते हैं, लेकिन तीसरे सेमेस्टर तक यह संख्या घटकर 20,000 रह गई।
- लगभग 15,000 छात्र या तो पढ़ाई छोड़ चुके हैं या फेल हो गए हैं।
- मुख्य कारण:
- सिलेबस के अनुसार किताबें उपलब्ध नहीं हैं।
- नोडल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी के कारण पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पा रहा है।
- कम अंक आने के कारण विद्यार्थी हतोत्साहित हो रहे हैं।
छात्रों पर बढ़ रहा आर्थिक दबाव
- कई विद्यार्थी किराए पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं, जिन पर यह नया नियम भारी पड़ रहा है।
- पहले साल में एक बार परीक्षा शुल्क देना पड़ता था, अब हर सेमेस्टर में फीस भरनी होगी।
- इस बदलाव से विद्यार्थियों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है