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जयपुर: राजस्थान में राजस्थानी भाषा को अधिकारिक भाषा का दर्जा देने की मांग लगातार बढ़ रही है। गुरुवार को भाजपा विधायक हमीर सिंह भायल ने विधानसभा में राजस्थानी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का मुद्दा उठाया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर सरकार से स्थानीय भाषा को आधिकारिक भाषा की मान्यता देने की अपील की।
गहलोत ने क्या कहा?
अशोक गहलोत ने एक्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राजस्थान सरकार को उत्तर प्रदेश की तरह संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत स्थानीय भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा देने पर विचार करना चाहिए।
राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में जोड़ा जाए
गहलोत ने अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर कहा कि राजस्थान के विभिन्न जिलों में बोली जाने वाली भाषाओं को मान्यता मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि 2003 में उनकी सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा था।
भायल ने केंद्र पर दबाव बनाने की अपील की
विधानसभा में भाजपा विधायक हमीर सिंह भायल ने कहा कि संविधान की 8वीं अनुसूची में अब तक 22 भाषाएं शामिल हो चुकी हैं, जबकि राजस्थानी भाषा कई अनुसूचित भाषाओं से बड़ी और समृद्ध है। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में इसे पढ़ाया जाता है, फिर भी इसे मान्यता नहीं दी गई।
उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाए ताकि राजस्थानी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल किया जा सके। भायल ने कहा कि अगर सरकार गंभीर होती, तो यह मुद्दा अब तक हल हो चुका होता।